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ये कौन सा मोड़ है जीवन का

ये कौन सा मोड़ है जीवन का 

जहा सिर्फ अंतर्द्वंद है 

यक़ीनन मै जनता हूँ 

हर उस  रास्ते को

जो मेरे चौराहे से गुजरता है 

परन्तु फिर भी मै अविचल हूँ 

यकीन मानो , मै चलना चाहता हूँ 

सिर्फ चलना, बिना रुके , बिना थके 

फिर भी मै अविचल हूँ 

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Comment

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 10:39pm

bahut sundar bhav ki rachna. badhai.

Comment by arunendra mishra on April 15, 2012 at 11:59pm

सरिता ma'am धन्यवाद् ... मुझे लगा कि मने  obo के स्तर की कविता नहीं लिखी ..परन्तु आप सब का स्नेहवर्धन देख कर अच्छा लगा ..पुनह धन्यवाद् 



Comment by arunendra mishra on April 15, 2012 at 11:56pm

श्री बागी जी .. नमस्कार ....उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद् ..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 5:35pm

खुबसूरत अभिव्यक्ति अरुणेन्द्र जी , बधाई |

Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 2:32pm

अरुणेन्द्र जी, नमस्कार, 

आपने लिखा है कि "यक़ीनन मै जनता हूँ 

हर उस  रास्ते को

जो मेरे चौराहे से गुजरता है"

आप ने स्कूल के ज़माने में यह कविता लिखी लेकिन इस की सार्थकता को आप ने सफल हो कर आज सिद्ध कर दिया ...बधाई....... 

Comment by Abhinav Arun on April 14, 2012 at 12:51pm

jeevan चलने का नाम ... इस अभिव्यक्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं !!

Comment by राज लाली बटाला on April 14, 2012 at 2:37am

 मै चलाना चाहता हूँ !! आपका कहना है !!   मै  चलना चाहता हूँ !!! अच्छी रही लघु  कविता


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2012 at 2:19am

अच्छी अभिव्यक्ति, सुधार हेतु सतत प्रयास बना रहे  .. .

Comment by arunendra mishra on April 14, 2012 at 12:37am

शैलेन्द्र जी , धन्यवाद् ...  यह अभिव्यक्ति मेरी स्कूल के समय  की है , जब मै करियर को ले कर कोई संतुष्ट विचार नहीं रखता था ...



Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 13, 2012 at 8:55pm

ये कौन सा मोड़ है जीवन का 

जहा सिर्फ अंतर्द्वंद है     खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए  बधाई स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

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