For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खामोश इन निगाहों का इश्तिहार जरा देखें।
टूटे हुए दिलों के पुकार जरा देखें॥
जरूरी नहीं जरूरतमंद की जरूरत पुरी हो।
जरूरत से ज्यादा लम्बी कतार जरा देखें॥
घनानन्द यहां मरता है हरवक्त प्यार में।
मगर सुजान का मौसमी प्यार जरा देखें॥
हर सूं यहां कुबेर का दबदबा बना हुआ है।
और दवताओं के पुरअसरार जरा देखें॥
इस दुनिया में जीने से मर जाना भला है।
पटे मौत की खबर से अखबार जरा देखें॥
दोस्त गर जीने की चाहत अभी बची है।
इकबार चलो चांद के उस पार जरा देखें॥

Views: 393

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 18, 2012 at 10:23pm
आभार डॉ. साहब।
Comment by Dr. Shashibhushan on March 18, 2012 at 9:58pm

मान्यवर त्रिपाठी जी,
सादर !
भावपूर्ण रचना ! यथार्थ वर्णन ! सत्य की खोज !
बधाई !

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 6:07pm
गुरूदेव प्रणाम! क्या कुछ लगा नहीं?रचना किस विधा के सर्वाधिक निकट है?इसमें कहां परिवर्तन करके किसी विधा वाली रचना का रूप दिया जा सकता है?प्रबोध देने की कृपा करें।
सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 17, 2012 at 5:53pm

सब सही, मगर यह है क्या ? भावों को कुछ दिन ज़ज़्ब कर इन्हें किसी विधा  या अतुकांत प्रवाह ही सही किसी व्यवस्थित साँचे में ढालने का प्रयत्न न करें ?  भाव यों अच्छे लगे.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 5:01pm
आदरणीय वाहिद जी आभार!
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 4:57pm
आदरणीय कुशवाहा जी आभार!
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 17, 2012 at 12:34pm

सुंदर प्रस्तुति पर बधाई त्रिपाठी जी..

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 17, 2012 at 10:13am

दोस्त गर जीने की चाहत अभी बची है।
इकबार चलो चांद के उस पार जरा देखें॥

bahut khoob. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service