For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खामोश इन निगाहों का इश्तिहार जरा देखें।
टूटे हुए दिलों के पुकार जरा देखें॥
जरूरी नहीं जरूरतमंद की जरूरत पुरी हो।
जरूरत से ज्यादा लम्बी कतार जरा देखें॥
घनानन्द यहां मरता है हरवक्त प्यार में।
मगर सुजान का मौसमी प्यार जरा देखें॥
हर सूं यहां कुबेर का दबदबा बना हुआ है।
और दवताओं के पुरअसरार जरा देखें॥
इस दुनिया में जीने से मर जाना भला है।
पटे मौत की खबर से अखबार जरा देखें॥
दोस्त गर जीने की चाहत अभी बची है।
इकबार चलो चांद के उस पार जरा देखें॥

Views: 405

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 18, 2012 at 10:23pm
आभार डॉ. साहब।
Comment by Dr. Shashibhushan on March 18, 2012 at 9:58pm

मान्यवर त्रिपाठी जी,
सादर !
भावपूर्ण रचना ! यथार्थ वर्णन ! सत्य की खोज !
बधाई !

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 6:07pm
गुरूदेव प्रणाम! क्या कुछ लगा नहीं?रचना किस विधा के सर्वाधिक निकट है?इसमें कहां परिवर्तन करके किसी विधा वाली रचना का रूप दिया जा सकता है?प्रबोध देने की कृपा करें।
सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 17, 2012 at 5:53pm

सब सही, मगर यह है क्या ? भावों को कुछ दिन ज़ज़्ब कर इन्हें किसी विधा  या अतुकांत प्रवाह ही सही किसी व्यवस्थित साँचे में ढालने का प्रयत्न न करें ?  भाव यों अच्छे लगे.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 5:01pm
आदरणीय वाहिद जी आभार!
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 4:57pm
आदरणीय कुशवाहा जी आभार!
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 17, 2012 at 12:34pm

सुंदर प्रस्तुति पर बधाई त्रिपाठी जी..

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 17, 2012 at 10:13am

दोस्त गर जीने की चाहत अभी बची है।
इकबार चलो चांद के उस पार जरा देखें॥

bahut khoob. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service