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रेशम के शहर आ बसा हूँ इस यकीन से
कोई तो मिले इश्क जिसे पापलीन से !

मैं चाँद सितारों के ज़िक्र में हूँ अनाड़ी,
इन्सान हूँ जुड़ा हुआ अपनी ज़मीन से !.

सच्चाई की तासीर तो कड़वी ही रहेगी,
आएगी न मिठास कभी भी कुनीन से !

मजबूरी-ए-हालात है कुछ और नहीं है,
जो मस्त लगा नाग सपेरे की बीन से !

बंगले मकान तो यहाँ लाखो ही मिलेंगे
घर ढूँढना पड़ेगा मगर दूरबीन से !

सर को उठाऊँ ग़र तो चूल्हा रहे ठंडा,
सर को झुकाऊँ गर तो गिरता हूँ दीन से

ससुराल में बिटिया के हालात जो सुने,
कांटे जिगर में चुभ गए लाखों महीन से !.

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प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 8, 2010 at 3:55pm
हौसला अफजाई का बहुत बहुत धन्यवाद बबन पाण्डेय जी !

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 8, 2010 at 3:54pm
नवीन भाई आपकी पारखी नज़र को सलाम है ! अपने कहा तो ये छठा शेअर मुझे भी अच्छा लगने लगा है ! कोशिश करूँगा की जो तिल चावल हैं मित्रों की खिदमत में पेश करता रहूँ !
Comment by baban pandey on September 8, 2010 at 1:30pm
"मैं चाँद सितारों के ज़िक्र में हूँ अनाड़ी,
इन्सान हूँ जुड़ा हुआ अपनी ज़मीन से !."..
बड़े भाई ...आपकी यह लाईन करीब दो माह पहले फेसबुक पढ़ा था और कमेन्ट किया था
उसी समय सोच रहा था ...ये पूरी कब होगी
आज जाकर खावाहिस पूरी हुई ...
पूरी तस्सल्ली के साथ
जय हो .

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 7, 2010 at 3:19pm
Thanks for liking Subodh bhai.
Comment by Subodh kumar on September 7, 2010 at 3:11pm
wah yograj jee..kamaal ki ghajal likhi hai aapne ..maza aa gaya,,, bahut suder.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 7, 2010 at 2:24pm
Thanks Ravi Guru jee
Comment by Rash Bihari Ravi on September 7, 2010 at 1:44pm
jai ho bahut sundar bahut badhia

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 7, 2010 at 11:19am
ग़ज़ल पसंद करने के लिए शुक्रिया आशीष जी !
Comment by आशीष यादव on September 7, 2010 at 11:16am
प्रभाकर जी प्रणाम,
अगर किसी शे'र की खुशामद कर दूँ तो अन्यों की तवहीं होगी| मै किस की बडाई करूँ| सारे एक से बढ़कर एक| हर एक शे'र खुद में ही पूरा है| और सारे मिलकर एक अद्भुत ग़ज़ल की रचना कर रहे हैं| बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर|

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 7, 2010 at 10:58am
हौसला अफजाई का बहुत बहुत धन्यवाद बागी जी !

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