For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Subodh kumar
  • Male
  • PATNA, BIHAR
  • India
Share on Facebook MySpace

Subodh kumar's Friends

  • Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह
  • आशीष यादव
  • Rana Pratap Singh
  • योगराज प्रभाकर
  • Rash Bihari Ravi
 

Subodh kumar's Page

Profile Information

City State
Patna, bihar
Native Place
Patna
Profession
Radiologist
About me
Human being

Subodh kumar's Photos

  • Add Photos
  • View All

Subodh kumar's Blog

इंसानियत बगैर इंसान हैं! '' लोग ''

मतलब कठिन शब्दों काः-

1.तुर्बत = कब्र, 2.इख़्तिलात = मेलजोल, 3.इशरत = अहसास,

4.निस्बत = लगाव



ये कितना खुदगर्ज हुआ जरूरत में आदमी

जिस कदर बेखबर रहे तुर्बत1 में आदमी



इख़्तिलात2 किसी से न पेशे खिदमतगारी है

बेखुदी का परस्तिश है वहशत में आदमी



रहे सबको इशरत3 फकत् अपने सांसो की

नहीं सिवा इसके अब फुर्सत में आदमी



काटे सर गैरों की इलत्तिजाये ज़िन्दगी में

करे है दरिंदगी अपने निस्बत4 में आदमी



ढुंढ़े नहीं मिले नियाजे5 अदब वफाये… Continue

Posted on September 27, 2010 at 2:00pm — 4 Comments

हम कौन से भले हैं....

न सोंच दिल कि तुम्हारी खता कहाँ थी

कर ले ख़्याल इतना हमारी वफा कहाँ थी



भड़कती नहीं चिंगारियां संग और आब से

रंजिश में तेरी भी दिलक़श ब्यां कहाँ थी



गै़र की बदसुलूकी से आज तुं क्यूं परेशां

बेअदबी पर खुद की शर्मो हया कहाँ थी



गै़र की करतुतो पर दिलों में शुगबूगाहट

अपनी ख़ता का दिल में चर्चा कहाँ थी



औरों से चाहत तेरी तमन्ना तहजीब की

ईमानदारी तेरी पेशगी में जवां कहाँ थी



इक वजह अदावत की दुनिया में खुदगर्जी

जब बनी थी कायनात… Continue

Posted on September 25, 2010 at 4:53pm — 4 Comments

क्या होगी जिन्दगी तेरे बगैर....

न मिलेगा सुकूने दिल सियाह चाहे रोशनी में

खलबली सी फ़कत रहेगी तेरे बगै़र जिऩ्दगी में



तुम से बिछुड़कर हाल हमारा कुछ ऐसा होगा

तेरे तस्सवुर में उम्र कटेगा हर पल बेबसी में



बहारों का क्या फायदा गर एहसास में खि़जा

माहताब भी गर्क हो जाये सबे ता़रीकी में



नजरें दरिचा बन जाये दिल ख़्यालों का मकां

दफ्न हो जाये वजूद तन्हाई के आरसतगी में



ओ रूखसत होने वाले देता जा तदवीर कोई

दिलबस्तगी का बहाना होगा तेरे नामौजुदगी में



मुश्किल से मिलता… Continue

Posted on September 24, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

हाले बेबसी ....

शबनम नहीं बरसते आसमां से आग अब तो

जज़्बों से ब्यां हो दिल के दा़ग अब तो



इतने शौले उमड़ पड़े नाउम्मीदी के आतिश का

जलता नहीं दिल में उम्मीदों के चि़राग अब तो



सोचूँ तो दर्द बोलूँ तो दर्द हरसू दर्द दिखाई दे

काटों की तरह चुभने लगा गुलाब अब तो



जिऩ्दगी से नफरत होने लगी कज़ा से उल्फत

टूटे हुऐ दिल में सजता नहीं है ख़्वाव अब तो



जीने की तमन्ना में हम क्या क्या करते गये

हर सांस मागें जिऩ्दगी का हिसाब अब तो



क्या सोंचा जिन्दगी से… Continue

Posted on September 22, 2010 at 5:00pm — 5 Comments

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:56am on August 20, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 12:50pm on August 20, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 10:30am on September 4, 2010, आशीष यादव said…
सुबोध जी प्रणाम,
आप की दो ग़ज़ल मैंने पढ़ी| बहुत ही अच्छी लगी||
At 9:16pm on September 3, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 9:15pm on September 3, 2010, Admin said…

At 7:59pm on September 3, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 4:12pm on September 3, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
57 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
12 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service