For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक भाई के दिल की पुकार ... ओ मेरी लाडली बहन

ओ मेरी लाडली बहन, ओ मेरी माँ जाई,
तुझ पे कुर्बान है सदा, तुम्हारा ये भाई !

जहाँ में चाँद सितारे हैं कायम जब तक,
तेरा सुहाग भी अमर रहे सदा तब तक !

तुम्हारे गाँव से बस ठंडी हवा आती रहे,
जिंदगानी तुम्हारी यूँ ही मुस्कुराती रहे !

मेरे बाबा की मेरी माँ की निशानी तू है
मेरे कुनबे की शर्म-ओ-लाज की बानी तू है !

दिल ये कहता है कि मैं फिर से मनाऊँ तुझको ,
अपने कन्धों पे बिठा फिर से घुमाऊँ तुझको !

तुम्हारी कपडे की गुडिया बहुत रुलाती है,
मुझे बचपन की याद हर समय दिलाती है !

तेरे बच्चों को देखने को दिल तरसता है,
हरेक राखी पे ठंडी आह सदा भरता है !

अगली राखी में मेरे घर पे बस चली आना,
कुँवर जी को भी अपने साथ में लेकर आना !

Views: 948

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 25, 2010 at 2:03pm
भाई गणेश बागी जी, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, शमशाद भाईजान, पंकज त्रिवेदी भाई जी, नवीन चतुर्वेदी भाई जी, आनन्द वत्स जी, राणा प्रताप सिंह जी, रवि "गुरु" जी , मैं आप सब का दिल से शुकर्गुजार हूँ कि आपने मेरी तुकबंदी को पसंद किया !
Comment by Rash Bihari Ravi on August 25, 2010 at 1:13pm
in pantiyo ko padhane ke bad kuch kahne le liya bacha hi nahi hain sundar atisundar manmohak.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 24, 2010 at 1:28pm
योगी सर एक गाने की पंक्तियाँ याद आ रही है

सजना के घर चली जायगी जो बहना
होंठ हँसेंगे मेरे रोयेंगे दो नैना
रखिया के रोज बहना रानी को बुलाऊंगा
ले के आयेंगे दूल्हें राजा

आपको रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाएं
Comment by Anand Vats on August 24, 2010 at 11:59am
भैया प्रणाम .. रक्षा बंधन की बहुत सारी बधाई और शुभकामनाये
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on August 24, 2010 at 10:53am
ओ मेरी लाडली बहन, ओ मेरी माँ जाई,
तुझ पे कुर्बान है सदा, तुम्हारा ये भाई !

बहुत बढ़िया प्रस्तुति आज राखी के अवसर पर.....आपको राखी के पावन पर्व की बहुत बहुत शुभकामना......
Comment by Pankaj Trivedi on August 24, 2010 at 10:12am
योगराजजी,
तुम्हारी कपडे की गुडिया बहुत रुलाती है,
मुझे बचपन की याद हर समय दिलाती है !
मेरे लिएँ प्रत्येक त्यौहार कष्टदायक होता है | आँखें बस में नहीं रहती, घर का एक कोना है जो मुझे अपनी आगोश में लेकर संभालता लेता है | मेरी पत्नी और दो बेटियों के सिवा कौन है...? रहने दो... मत पूछो आगे...
आपने व्यक्त किएँ हर भावों को जीया हूँ और उसी रंगों से खेला हूँ... वो मेरा अतीत है मेरे भाई.... !!
Comment by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on August 24, 2010 at 9:10am
प्रभाकर जी, इस रचना में घर आंगन के वो तमाम रंग भर दिये हैं आपने जिन्हें हर इंसान जीता है, जी चुका है और जीता रहेगा..रक्षा बंधन पर इससे बेहतर क्या उपहार दे सकता है कोई भाई..किसी बहन को..!!!
साधुवाद स्वीकार कीजिये..!!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 24, 2010 at 9:00am
तुम्हारी कपडे की गुडिया बहुत रुलाती है,
मुझे बचपन की याद हर समय दिलाती है !

अब कुछ भी कहना उचित न होगा.
हम कितनी बड़ी कीमत चुका कर बड़े होते हैं. आज मुझे अपनी ’उस’ छोटी बहन की याद आ रही है.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 24, 2010 at 8:28am
इसे मैं रचना नहीं कहूँगा, क्यू की रचना तो रची जाती है, यह तो स्वाभाविक रूप से स्वतः उदगमित एक बड़े भाई के दिल का उदगार है जो सीधे ह्रदय को झंकृत कर देता है,
आदरणीय योगराज भईया ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार आपके भावना की क़द्र करता है, हम सभी धन्य है जो आप जैसा भाई हमारे बीच है, ईश्वर से प्रार्थना है कि आप कि छत्र छाया इस परिवार पर सदैव बनी रहे |
Comment by alok jha on August 24, 2010 at 7:35am
bhahut badhiya sir ji .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service