For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कवि ताक रहा है फूल

कवि ताक रहा है फूल 

 

श्याम बिहारी श्यामल

अँटा पड़ा है
मटमैला आँचल सदी का
क्षत-विक्षत लाशों से
तब्दील हो रहे हैं
तेज़ी से पंजे
तमाचों में

सवाल बनते जा रहे हैं
एक साथ
पेड़ और बच्चे
कविता में उग रही है
उलाहना
सूरज और हवा के खिलाफ भी

कवि ताक रहा है फूल
और जल रहा है
तेज़ ताप से
पंछी के बज रहे हैं
पंख और ठोर
सिहर रही है भोर

...और तब भी
ज़िंदा हूँ मैं
बचे हुए हैं आप
धड़क रही है धरती
यही क्या कम है !
तख़्त के शैतान को
इसी का बहुत ग़म है !

Views: 1944

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AjAy Kumar Bohat on January 4, 2012 at 11:26am
bahut khoob Shyam ji...
Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:59am

आभार  वन्‍दना गुप्‍ता जी... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:57am

आभार लता  आर. ओझा जी... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:56am

बंधुवर योगराज प्रभाकर जी, आपकी सद्भावनाएं मेरे लिए ऊर्जा-स्रोत बन गई हैं.. हृदय से आपका आभार साथी... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:54am

आभार अरुण अभिनव जी... ाुभकामनाएं... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:53am

आभार संजय पराशर जी... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:52am

आभार एन.बी.नाजील जी... शुभकामनाएं...  

Comment by Nazeel on December 15, 2011 at 1:22pm

अँटा पड़ा है
मटमैला आँचल सदी का
क्षत-विक्षत लाशों से
तब्दील हो रहे हैं
तेज़ी से पंजे
तमाचों में

  1. वाह क्या  बात है श्यामल जी

Comment by sanjay parashar on December 14, 2011 at 7:30pm
कविता में उग रही है
उलाहना
सूरज और हवा के खिलाफ भी.....
विचारों का अद्भूत प्रस्फूटन... बधाईयाँ ! 
Comment by Abhinav Arun on December 10, 2011 at 10:47am

इस रचना के माह के श्रेष्ठ रचना चुने जाने पर हार्दिक बधाई !! श्यामल जी ओ बी ओ पर आपकी रचनाओं से इसे एक नयी उर्जा मिली है !! हार्दिक साधुवाद ##

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
23 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service