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कवि ताक रहा है फूल

कवि ताक रहा है फूल 

 

श्याम बिहारी श्यामल

अँटा पड़ा है
मटमैला आँचल सदी का
क्षत-विक्षत लाशों से
तब्दील हो रहे हैं
तेज़ी से पंजे
तमाचों में

सवाल बनते जा रहे हैं
एक साथ
पेड़ और बच्चे
कविता में उग रही है
उलाहना
सूरज और हवा के खिलाफ भी

कवि ताक रहा है फूल
और जल रहा है
तेज़ ताप से
पंछी के बज रहे हैं
पंख और ठोर
सिहर रही है भोर

...और तब भी
ज़िंदा हूँ मैं
बचे हुए हैं आप
धड़क रही है धरती
यही क्या कम है !
तख़्त के शैतान को
इसी का बहुत ग़म है !

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Comment

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Comment by AjAy Kumar Bohat on January 4, 2012 at 11:26am
bahut khoob Shyam ji...
Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:59am

आभार  वन्‍दना गुप्‍ता जी... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:57am

आभार लता  आर. ओझा जी... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:56am

बंधुवर योगराज प्रभाकर जी, आपकी सद्भावनाएं मेरे लिए ऊर्जा-स्रोत बन गई हैं.. हृदय से आपका आभार साथी... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:54am

आभार अरुण अभिनव जी... ाुभकामनाएं... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:53am

आभार संजय पराशर जी... 

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 16, 2011 at 5:52am

आभार एन.बी.नाजील जी... शुभकामनाएं...  

Comment by Nazeel on December 15, 2011 at 1:22pm

अँटा पड़ा है
मटमैला आँचल सदी का
क्षत-विक्षत लाशों से
तब्दील हो रहे हैं
तेज़ी से पंजे
तमाचों में

  1. वाह क्या  बात है श्यामल जी

Comment by sanjay parashar on December 14, 2011 at 7:30pm
कविता में उग रही है
उलाहना
सूरज और हवा के खिलाफ भी.....
विचारों का अद्भूत प्रस्फूटन... बधाईयाँ ! 
Comment by Abhinav Arun on December 10, 2011 at 10:47am

इस रचना के माह के श्रेष्ठ रचना चुने जाने पर हार्दिक बधाई !! श्यामल जी ओ बी ओ पर आपकी रचनाओं से इसे एक नयी उर्जा मिली है !! हार्दिक साधुवाद ##

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