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लगता है मेरे प्यारों को पैसा है मेरे पास

सच्चाई पर यही है कि क़र्ज़ा है मेरे पास

ए सी की रहने वाली तू मत प्यार कर मुझे

आवाज़ करता छोटा सा पंखा है मेरे पास

मुझसे बिछड़ के जूड़ा बनाती नहीं है अब

वो लड़की जिसका आज भी गजरा है मेरे पास

पापा ये मुझ से कहते हुए रो पड़े थे कल

कितने दिनों के बाद तू बैठा है मेरे पास

साया दिया था मैंने कड़ी धूप में जिसे

अब सिर्फ़ उसकी याद का साया है मेरे पास

अब मीठी बातें छोड़ भी मुद्दे पे आ ज़रा

तू किस ग़रज़ से चल बता आया है मेरे पास

नफ़रत के दौर में यहाँ मुझको सुनेगा कौन

अम्न ओ अमान प्यार का नग़्मा है मेरे पास

 इक तरह से जो सोचूंँ तो कुछ भी नहीं है पर

इक तरह से जो सोचूंँ तो क्या क्या है मेरे पास

मौलिक

अनीस अरमान 

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2024 at 9:02am

आ. भाई अनीस जी, अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 30, 2023 at 11:02am

उम्दा ग़ज़ल कही ज़नाब अनीस जी...बधाई

Comment by Samar kabeer on December 19, 2023 at 3:41pm

जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I  

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