For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपर्याप्त तो सोचना, किए बिना प्रयास।

हो प्रयास उसके लिए, पूरी तब हो आस॥

इच्छाएँ सीमित रहें, दें प्रकृति को मान।
रखें स्वच्छ पर्यावरण, धरती स्वर्ग समान॥

तन को ढकने के लिए, सिलते थे परिधान।

अब उघाड़ कर अंग को, बनते लोग महान

नहीं क्षेत्र निर्जन रहे, सारे है जन मार।

चंद्रलोक में चाहते, बसता नव संसार॥

नहीं रहे सम्बन्ध वो, नहीं पुरानी बात।
कोरोना जब से चला, बदल गए हालात।।

पंसारी सारे बने, हल्दी गठ पा आज।

संस्कारी मिलते नही, सुने कौन आवाज॥

पड़े मुसीबत जब कभी, बापू आते याद।
सब ही माँ के लाडले, बापू भूले बाद॥

बेटा सिर पर बाप के, पढ़ बैठा विज्ञान।

अब कहता है बाप से, चुप रह तू अनजान॥

योग करें इस देह में, दुर्लभ मिला सुयोग।

वृद्धि श्वास में होय जब, तन मन बुद्धि निरोग॥

स्वरचित , मौलिक ,अप्रकाशित  

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Om Parkash Sharma on July 12, 2021 at 9:14pm

Samar kabeer नमस्कार सटीक टिप्पणी के लिए आपका सादर आभार । सुधार कर पुन: प्रेषित करने का प्रयास रहेगा ।

Comment by Om Parkash Sharma on July 12, 2021 at 9:12pm

Samar kabeer जी नमन , आप सभी गुनीजनों की प्रेरणा से सुधार करने का पूरा प्रयास करूंगा। सादर धन्यवाद ।

Comment by Om Parkash Sharma on July 12, 2021 at 9:10pm

 Chetan Prakash जी  नमस्कार , आपका सटीक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार। आपके निर्देशानुसार सुधार का प्रयास रहेगा । कृपया इसी प्रकार मार्गदर्शन करते रहें।

Comment by Om Parkash Sharma on July 12, 2021 at 9:06pm

अमीरुद्दीन 'अमीर'जी आदरणीय उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on July 7, 2021 at 12:52pm

जनाब ओमप्रकाश शर्मा जी आदाब, दोहों का अच्छा प्रयास है,लेकिन दोहे अभी समय चाहते हैं,गुणीजनों की बातों पर ध्यान दें, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 7, 2021 at 12:03am

आदरणीय ओमप्रकाश जी सादर, दोहों पर अच्छा प्रयास हुआ है आपका । कुछ दोहे अच्छे रचे भी गए हैं, किन्तु अधिक में कार्य किये जाने की आवश्यकता महसूस हो रही है । जैसे प्रथम दोहे का आशय स्पष्ट नहीं हो रहा है । इसी दोहे के तृतीय चरण की गेयता भी बाधित हो रही है । द्वितीय में/किये बिना प्रयास/ इस चरण में दस मात्राएँ रह गयी हैं । /दें प्रकृति को मान/ यहाँ भ एक मात्रा कम है । अन्य दोहों पर भी कुछ कार्य किये जाने की आवश्यकता है ।सादर 

Comment by Chetan Prakash on July 6, 2021 at 8:15am

आपका  पहला  दोहा  सच को अभिव्यक्त कर  रहा है, अशुद्ध  रचना,  अनावश्यक संख्या विस्तार  उक्त  श्रेणी  में ही आता  है ! जब कि ओ बी ओ का नीति -निर्देशक सिद्धांत है, कम लिखें , शास्त्रीय- उच्च स्तरीय लिखे! " दें प्रकृति  को मान, दोहे  का द्वितीय चरण है ! कृपया, मात्राएं देखें !" नहीं क्षेत्र निर्जन रहे ( दोहे का प्रथम चरण ) फिर  मात्रा- गणना करें, महोदय  ! " पढ़ बैठा  विज्ञान " नवें दोहे  का दूसरा चरण, एक बार  पुन: मात्राएं गिनें ! सातवें  दोहे का वाक्य-विन्यास संशोधन की अपेक्षा रखता है !

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 5, 2021 at 8:14am

जनाब ओमप्रकाश शर्मा जी आदाब, यथार्थता पर आधारित अच्छे दोहे हुए हैं बधाई स्वीकार करें। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service