For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तात के हिस्से में कोना आ गया - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२१२२/२१२२/२१२


तात के  हिस्से  में  कोना आ गया
चाँद को भी सुन के रोना आ गया।१।
*
नींद  सुनते  हैं  उसी  की  उड़ गयी
भाग्य में जिसके भी सोना आ गया।२।
*
खेत लेकर इक इमारत कर खड़ी
कह रहा वो  बीज  बोना आ गया।३।
*
डालकर  थोड़ा   रसायन ही  सही
उसको आँखें तो भिगोना  आ गया।४।
*
पा गये जगभर की खुशियाँ लोग वो
एक दिल जिनको भी खोना आ गया।५।
*
कल तलक  औरों  सा  होने  में मिटे
आज खुद सा हमको होना आ गया।६।
*
तोड़ना फितरत है उस की फूल को
हम को माला  में  पिरोना  आ गया।७।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 889

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 19, 2021 at 3:36pm

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िरजी सादर अभिवादन।

अच्छी ग़ज़ल खिह आपने।।चर्चा भी अच्छी लगी। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 19, 2021 at 12:32pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर पुनः उपस्थिति के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 19, 2021 at 12:16pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on March 19, 2021 at 11:45am

अब ठीक हैं ।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 19, 2021 at 11:24am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। बेहतरीन गज़ल।

कल तलक  औरों  सा  होने  में मिटे
आज खुद सा हमको होना आ गया।६।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 19, 2021 at 9:02am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व मार्गदर्शन के लिए आभार । इंगित मिसरों में कुछ बदलाव किया है देखिएगा 

डालकर थोड़ा रसायन ही सही
उसको आँखें तो भिगोना आ गया।४।
*
पा गये जगभर की खुशियाँ लोग वो
एक दिल जिनको भी खोना आ गया।५।

Comment by Samar kabeer on March 15, 2021 at 7:24pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

गुणीजनों से सहमत ।

Comment by Rachna Bhatia on March 13, 2021 at 9:19am

आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'भाई नमस्कार। भाई , कृष मिश्रा जी ने इशारा कर दिया है। सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2021 at 1:19pm

आ. भाई क्रिस जी, अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद । इंगित मिसरों को बेहतर करने का प्रयास करता हूँ । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2021 at 1:17pm

आ. रचना बहन, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार । यदि शेर भी इंगित कर देतीं तो अच्छा रहता । सादर...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
16 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
18 hours ago
Shabla Arora updated their profile
21 hours ago
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service