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ग़म सभी की ज़ीस्त से हों लापता कीजे दुआ

ग़ज़ल( 2122 2122 2122 212 )
ग़म सभी की ज़ीस्त से हों लापता कीजे दुआ
और ख़ुशियों से हो पैहम सामना कीजे दुआ
**
दिल मिलाने के लिए आगाज़ हो इक जश्न का
दिल न कोई अब रहे टूटा हुआ कीजे दुआ
**
नफ़रतों के सब शजर उखड़ें हमारे मुल्क से
और शगुफ़्ता हर शजर हो प्यार का कीजे दुआ
**
मुल्क में जनता न हो बीमार रोगों से कभी
हर मकाँ में पा न रख पाए क़ज़ा कीजे दुआ
**
रब तरक़्क़ी की लकीरें सिर्फ़ हाथों में लिखे
या लिखें ख़ुद ही मुक़द्दर आपका कीजे दुआ
**
जाहिलों के हर मकाँ में इल्म की हो रोशनी
दूर हो जाये अँधेरों की घटा कीजे दुआ
**
हर नदी को हो मयस्सर बह्र कोई ज़ीस्त में
हर सफ़ीने को मिले इक नाख़ुदा कीजे दुआ
**
चाहतों और हसरतों के कारवाँ आगे बढ़ें
हो रुख़ों पर कामयाबी की ज़िया कीजे दुआ
**
मय ग़ुरूर-ए-हुस्न ज़र का और सत्ता का नशा
है 'तुरंत ' अब तक तो वो छूटे नशा कीजे दुआ
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 10, 2021 at 3:33pm

भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी , इस प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार एवं नमन | 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 10, 2021 at 10:34am

आ. भाई गिरधारी सिह जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 1, 2021 at 11:13pm

आदरणीय  Samar kabeer साहेब , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई का दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | 

Comment by Samar kabeer on February 1, 2021 at 7:14pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 31, 2021 at 2:31pm

आदरणीय Chetan Prakash जी , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ , यह सही है मेरी ग़ज़लों में सपाट बयानी होती है , हालाँकि सपाट बयानी क्या है इसका दायरा संदेह  के घेरे में रहता है | मेरा मक़सद सिर्फ़ इतना रहता है बात हर पढ़ने वाले के दिल तक पहुंच जाए जो मैं कहना चाहता हूँ | आपकी बधाई से मेरा मक़सद पूरा हुआ | 

Comment by Chetan Prakash on January 31, 2021 at 1:28pm

अच्छी गजल हुई, तुरंत साहब ! सपाट बयानी और गजल जैसी रोमानी विधा में खटकती है, ज़रूर ! फिर भी बधाई स्वीकार करें जनाब !

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