For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिछलग्गू परिंदे

जासूसी उपन्यास पढ़ चुके एक मित्र से दूसरे मित्र ने उसकी कहानी का आशय पूछा।पहले ने जवाब में कहा,'
भरोसा, चोट......।'
' मतलब?' दूसरी तरफ से सवाल हुआ।
' परी कथा समझते हो न?'
' बिलकुल।'
' बस वैसा ही समझ लो।खेतों से पेट पालनेवाले चिड़ों के इलाके में एक सफेद चिड़ी उतरी। धूप में झुलसे उन बाशिंदों में वह गोरी थी, परी समझ ली गई।सुनहरी होने के चलते उसे सोनी नाम मिला। परिंदों का सरदार चिड़ा उसपर फिदा हुआ।दोनों का चोंच - बंधन हो गया। एक दिन ऊंची उड़ान भरते वक्त चिड़ा काल कवलित हो गया।समूह ने सोनी की ताजपोशी कर दी।
सोनी को सोना बहुत प्रिय था। उसने परिंदों के पंखों की नीलामी शुरू कर दी।हाहाकार मच गया। हठात परिंदों के एक वृहत समूह ने अपना नया परिंदा(सरदार)मुकर्रर कर लिया। अब घायल परिंदों के घावों पर मरहम लगने लगे।सोनी छटपटाई।पंखों की नीलामी बंद होने से सोना मिलना बंद हो गया,उल्टे पहले जमा हुए उसके सोने का हिसाब लिया जाने लगा।
बीच बीच में अन्य परिंदा - समूहों की तरफ से आक्रामक उड़ानें भड़ी जातीं।एक तरफ घायल परिंदों की सुश्रुषा,दूसरी तरफ दुश्मनों से अपने समूह और सीमा की सुरक्षा में सरदार अपनी मंडली के साथ अहर्निश जुटा हुआ था।उधर सोनी नित नए बवाल उठाती।कभी धरना - प्रदर्शन कराती,तो कभी सरदार की सुरक्षा - प्रणाली पर सवाल उठाती।उसके चिड़े -चिड़ी अलग कुछ चिड़ों - चिड़ियों को लेकर उत्पात मताया करते।'
' अरे भई!यह तो बड़ा बुरा हाल बयां किया तुमने।' दूसरे मित्र ने आंखें फैलाते हुए कहा।
' इतना ही नहीं मेरे भाई, सोनी खुद को उस परिंदा - समूह की मालकिन समझती।अनाप शनाप प्रलाप भी करती।'
' मुफ्त की मारी,बेचारी सोनी और बेचारी उसकी अनुगामिनी परिंदा - मंडली!' दूसरे मित्र ने उच्छवास लिया।
" मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 354

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on June 21, 2020 at 6:15pm

लघुकथा की सराहना हेतु आपका आभार,नमन आदरणीय समर जी।

Comment by Samar kabeer on June 21, 2020 at 3:10pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
11 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service