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अपराध बोध - लघुकथा -

अपराध बोध - लघुकथा -

"सपना, यह क्या कर करने जा रही थी?"

रश्मि ने सपना के कमरे का जो द्दृश्य देखा तो चकित हो गयी। सपना पंखे में फंदा डाल कर स्टूल पर चढ़ी हुई थी।रश्मि अगर चंद पल देर से पहुंचती तो अनर्थ हो जाता। रश्मि ने झपट कर सपना को सहारा देकर नीचे उतारा।सपना रोये जा रही थी।

"सपना मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तुम जैसी शिक्षित, सुशील और शांत लड़की ऐसा अविवेक पूर्ण कदम भी उठा सकती है।"

रश्मि ने उसे पानी दिया और उसे गले लगा कर ढांढस बधाने की चेष्टा की।सपना के संयमित होने पर रश्मि ने पुनः उसे पूछा," सपना मैं तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्त हूँ।और तुम तो मुझे अपनी बड़ी बहिन की तरह मानती हो। अपना दुख दर्द मुझे नहीं बताओगी?"

"दीदी, मेरे जीवन में अब कुछ बाकी नहीं बचा।"

"आखिर ऐसा हुआ क्या?"

"दीदी गोपाल ने मुझे धोखा दिया।प्यार का नाटक किया और अब अपने गाँव जाकर माँ बाप की पसंद से शादी कर ली।"

"बस इतनी सी बात?  हद कर दी तुमने सपना।"

"दीदी, आपके लिये यह मामूली बात है।पिछले दो साल से हम रिलेशनशिप में थे।हमारे शारीरिक संबंध भी थे। सारे होस्टल को मालूम है।अब मेरा क्या भविष्य है?"

"पगला गयी हो क्या? तुम्हारे विचार सुन कर कोई मानेगा कि तुम एक शिक्षिका हो और स्त्री स्वतंत्रता जैसे विषय पर पी एच डी कर रही हो।"

"लेकिन दीदी क्या आप सामजिक वर्जनाओं और मान्यताओं को नकार सकती हो?"

"वह गोपाल भी तो इसी समाज का हिस्सा है। उसने क्या किया?"

"दीदी वह तो मर्द है।समाज में मर्दों के लिये अलग सोच है।"

"उस सोच को ही बदलने की आवश्यकता है। दोषी तुम नहीं गोपाल है।अपराधी तुम नहीं गोपाल है। उठो और अपनी शिक्षा से  नयी सोच और नयी विचारधारा को जन्म दो।"

मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित

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Comment by TEJ VEER SINGH on June 7, 2020 at 9:05am

हार्दिक आभार आदरणीय डिंपल शर्मा जी।अच्छा विश्लेषण किया आपने लघुकथा का।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 7, 2020 at 9:02am

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।आदब।

Comment by Dimple Sharma on June 6, 2020 at 2:39pm

सत्य है स्त्री और पुरुष दोनों एक ही पलड़े में तूले जाने चाहिए और यह बात पहले स्त्रीयों को ही समझनी होगी ,स्त्रीयाँ स्वयं ही खुद को कम आंकती हैं और फिर अपने स्त्री होने का रोना रोते रहती है! बहुत अच्छी सीख देती समाज को आईना दिखाती खुबसूरत लघुकथा , बधाई आपको आदरणीय ।

Comment by Samar kabeer on June 6, 2020 at 11:44am

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 6, 2020 at 9:07am

हर्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।

Comment by नाथ सोनांचली on June 6, 2020 at 4:32am

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। बेहतरीन लघुकथा लिखी आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by TEJ VEER SINGH on June 5, 2020 at 6:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय नमिता सुंदर जी।

Comment by namita sunder on June 5, 2020 at 5:36pm

सच है, इसी बोध को बदलने की आवश्यकता है ।जब अपराध नहीं तो बोध क्यों.

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