For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने जीवन काल में , देखी पहली ईद |
मोबाइल में कर रहा , मैं अपनों की दीद ||
बिन आमद के घट गयी , ईदी की तादाद |
फीका बच्चों को लगे , सेवइयों का स्वाद ||
कहे मौलवी ईद है , कैसी बिना नमाज़ |
रब रूठा तो क्या करें, कौन सुने आवाज़ ||
ख़ूब मचलती आस्तीं , हमकिनार हों यार |
लेकिन सब दूरी रखें , कोविड करे गुहार ||
ग्राहक का टोटा हुआ ,सूने हैं बाज़ार |
घर में सारे बंद हैं , ठंडा है व्यापार ||
चन्द जगह पर विश्व में , जबरन हुई नमाज़ |
जिए रिआया  या मरे , उनको नहीं लिहाज़ ||
कोरोना से आज भी , बहुत श्रमिक मजबूर |
घर वालों से वे रहे , ईद दिवस पर दूर ||
कह 'तुरंत' मायूसियाँ, हैं जीवन का अंग |
पक्का अगली  ईद पर ,हम सब होंगे संग ||
मान लिया इस साल में , सपने हुए शहीद |
ग़म मत करना दोस्तों , फिर आएगी ईद | |
ईद-मुबारक पर दिखी ,कोरोना की छाप |
कह 'तुरंत' उम्मीद मत , छोड़ें हरगिज़ आप ||
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

मौलिक व अप्रकाशित
25 /05 /2020

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 26, 2020 at 6:54pm

भाई रणवीर सिंह 'अनुपम'  जी , 

इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन | 

Comment by रणवीर सिंह 'अनुपम' on May 26, 2020 at 6:49pm
बहुत सुंदर दोहे।
Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 26, 2020 at 2:34pm

आदरणीय Samar kabeer  साहेब , आपकी इस सराहना से सृजन धन्य हुआ | सादर आभार एवं नमन | 

Comment by Samar kabeer on May 26, 2020 at 2:29pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,

वाह वाह, बहुत ख़ूब, आज के हालात पर बहुत उम्दा दोहे कहे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

'जिए रियाया या मरे , उनको नहीं लिहाज़'

इस पंक्ति में 'रियाया' को "रिआया" कर लें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 25, 2020 at 8:37pm

आदरणीय अमीरुद्दीन खा़न "अमीर "  साहेब , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन | 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 25, 2020 at 7:37pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी 'तुरंत',  ईद पर बहुत सुन्दर और और मार्मिक दोहे हुए हैं। बधाई स्वीकार करें। 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 25, 2020 at 6:28pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी, इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन | 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 25, 2020 at 6:16pm

आ. भाई गिरधारी सिह जी, समय की कैद हुई ईद पर उम्दा दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 25, 2020 at 5:23pm

आदरणीय Ram Awadh VIshwakarma  जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन | 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 25, 2020 at 5:10pm

फीका बच्चों को लगे सेवइयों का स्वाद

वाह वाह आदरणीय ईद सभी दोहे शानदार हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service