For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़ितरत से हूँ मैं सब से जुदागाना समझिये (123)

( 221 1221 1221 122 )
फ़ितरत से हूँ मैं सब से जुदागाना समझिये
है इश्क़ मुझे आप न दीवाना समझिये
दस्तूर निभाए हैं सभी प्यार के मैंने
रस्म-ओ-रह-ए-उल्फ़त से न बेगाना समझिये
रूदाद मेरे प्यार की है यारो हक़ीक़त
तारीख़ का क़िस्सा कि न अफ़्साना समझिये
सीखा है हुनर जल के बचा लेता हूँ ख़ुद को
मरता ही रहूँ ऐसा न परवाना समझिये
साक़ी को हिदायत है कि मय धीरे से डाले
बेकार मैं छलकूँ वो न पैमाना समझिये
हासिल है हमें जो भी ये जज़्बा-ए-मुहब्बत
अल्लाह का अनमोल-सा नज़राना समझिये
है पाक सनम मस्जिद-ओ-मंदर सा मेरा दिल
महफ़िल कि इसे आप न मयख़ाना समझिये
है आपकी यादों की महक से ये मुअत्तर
इस दिल को हुज़ूर आप न वीराना समझिये
खेली है ग़मों संग सदा आंखमिचौली
बचपन से 'तुरंत ' इन से है याराना समझिये
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on October 1, 2020 at 8:59am

भाई  आशीष यादव  जी उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार एवं नमन | 

Comment by आशीष यादव on October 1, 2020 at 4:25am

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत'तुरंत'जी प्रणाम, ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार कीजिए।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 30, 2020 at 5:35pm

भाई Nilesh Shevgaonkar जी , क़ाफ़िया रदीफ़ , कुछ भी हो कहीं भी मात्रा गिरा लो कोई दिक्कत नहीं है | हम लोग तो वरिष्ठ शाइरों के कलाम देखकर ही सीखते हैं | वैसे यह ग़ज़ल शकील साहेब की एक ग़ज़ल  पढ़ते पढ़ते   हो गई थी | जिसमें ये क़ाफ़िया प्रयोग किये गए हैं -ज़ाहिर है उन्होंने गलत क़ाफ़िया तो प्रयोग नहीं किये होंगे | आप भी आनंद लीजिए ---

दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ

छेड़ो मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ

रूदाद-ए-ग़म-ए-इश्क़ है ताज़ा मिरे दम से

उनवान-ए-हर-अफ़्साना हूँ अफ़्साना नहीं हूँ

इल्ज़ाम-ए-जुनूँ दें मुझे अहल-ए-मोहब्बत

मैं ख़ुद ये समझता हूँ कि दीवाना नहीं हूँ

मैं क़ाएल-ए-ख़ुद्दारी-ए-उल्फ़त सही लेकिन

आदाब-ए-मोहब्बत से तो बेगाना नहीं हूँ

है बर्क़-ए-सर-ए-तूर से दिल शोला-ब-दामाँ

शम-ए-सर-ए-महफ़िल हूँ मैं परवाना नहीं हूँ

है गर्दिश-ए-साग़र मिरी तक़दीर का चक्कर

मोहताज-ए-तवाफ़-ए-दर-ए-मय-ख़ाना नहीं हूँ

काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर

फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ

लज़्ज़त-कश-ए-नज़्ज़ारा 'शकील' अपनी नज़र है

महरूम-ए-जमाल-ए-रुख़-ए-जानाना नहीं हूँ

---शकील बदायूंनी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 30, 2020 at 12:43pm

आ. तुरंत जी,

मेरी मुराद क़ाफिये की मात्रा गिराए जाने से है..बाकी अन्य जगह से नहीं.

सादर 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 29, 2020 at 4:26pm

भाई  Nilesh Shevgaonkar  जी , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया |  मात्रा गिराना उर्दू ग़ज़ल के अरूज़ में किसी भी प्रकार का ऐब नहीं है , सिर्फ मीर ही क्यों ग़ालिब ,फैज़ ,राहत ,इन्दोरी , दाग़ देहलवी ,किस किस का नाम गिनाएं सब बड़े और छोटे नाम मात्रा गिराते रहे हैं | ग़ज़ल में एक ही चीज़ महत्वपूर्ण है , लय में रूकावट न हो , अगर लय में रूकावट है तो मात्रा नहीं गिरेगी | यही अटल नियम है | मात्रा गिराना  आम तौर पर भी ऐब नहीं है| पता नहीं किसने आपके दिमाग में यह बात डाल दी | कई बहूर तो हैं ही ऐसी जिनमें बिना मात्रा गिराए आप ग़ज़ल कह ही नहीं सकते | सादर नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 29, 2020 at 4:21pm

Dimple Sharma जी , हार्दिक आभार 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 29, 2020 at 9:40am

आ. तुरंत साहब

अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई।

बस एक बात जो खटक रही है वो यह कि क़ाफ़िया की मात्रा को गिरा कर पढ़ना पड़ रहा है।

हालांकि ऐसा मीर ने भी किया है लेकिन आमतौर पर ऐसा होना दोष माना जाता है। 

आपकी रचना पर आपको पुनः बधाई

Comment by Dimple Sharma on September 29, 2020 at 5:54am

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत'तुरंत'जी नमस्ते, ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें, चौथा शेर और आठवां शेर बहुत ज्यादा पसंद आए, बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोहे के बारे में सुझाव…"
6 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सार्थक दोहे हुए, भाई मुसाफिर साहब ! हाँ, चौथे दोहे तीसरे चरण में, संशोधन अपेक्षित है, 'उसके…"
14 hours ago
Chetan Prakash posted a blog post

कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः

दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है…See More
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जलते दीपक कर रहे, नित्य नये पड्यंत्र।फूँका उन के  कान  में, तम ने कैसा मंत्र।१।*जीवनभर  बैठे  रहे,…See More
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थितिभाव.पक्ष की कमी बताते हुए मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"मेरे सुझाव को स्वीकार कर तदनुरूप रचना में सुधार करने के लिए मैं आपका आभारी हूँ, आदरणीया विभा रानी…"
yesterday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"अवसर : शुभेक्षु "आपको सर्वोच्च शैक्षिक डिग्री अनुसन्धान उपाधि प्राप्त किए इतने साल गुजर गये!…"
yesterday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Saurabh Pandey जी हार्दिक धन्यवाद आपका गलतियाँ सुधार ली जायेंगी"
yesterday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Manan Kumar singh जी व्याकरण जनित/टंकण जनित त्रुटियाँ हैं हार्दिक धन्यवाद आपका"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आदरणीया विभा जी, प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ।  'कोई अपना! इतने वर्षों तक...…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"नारी -जीवन की दुरूहता के दंश से रु -ब - रु कराती रचना।बधाइयां। हां,व्याकरण जनित/टंकण जनित त्रुटियां…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"क्या बात है !!  आपने 'अवसर' के नए आयाम प्रस्तुत किया हैं, आदरणीय तेजवीर…"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service