फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फेलुन/फ़इलुन
इसलिये आने से कतराते हैं ईमाँ वाले
तेरे कूचे में उधम करते हैं शैताँ वाले
.
ये किसी ख़तरे की आमद का इशारा तो नहीं
ख़्वाब क्यों मुझको दिखाता है वो तूफ़ाँ वाले
.
और सब कुछ यहाँ तब्दील हुआ है लेकिन
घर में दस्तूर हैं अब तक वही अम्माँ वाले
.
बाग़बाँ ने वो सितम तोड़े हैं इनपर देखो
कितने सहमे हुए रहते हैं गुलिस्ताँ वाले
.
रह्म करना किसी बिस्मिल पे गवारा ही नहीं
कितने सफ़्फ़ाक हैं देखो ये परिस्ताँ वाले
.
काँप जाता है ये दिल,रूह लरज़ जाती है
याद आते हैं सफ़र जब वो बयाबाँ वाले
.
मेरे जज़्बात वही शख़्स समझ सकता है
जिसने अफ़साने सुने होंगे दिल-ओ-जाँ वाले
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याद जब घर की सताए तो,रिहाई के लिये
आसमाँ सर पे उठा लेते हैं ज़िनदाँ वाले
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अपने मज़हब की किताबों से गुरेज़ां हैं सब
गीता वाले हों "समर"या कि हों क़ुरआँ वाले
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आमद-आना
बिस्मिल-ज़ख़्मी
जिन्दां-;क़ैद ख़ाना
गुरेज़ां-भागने वाले
"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब, ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब श्याम नारायण वर्मा साहिब आदाब, सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब, ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब राम अवध जी आदाब, ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब हर्ष महाजन जी आदाब, ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब निलेश 'नूर' साहिब आदाब, ग़ज़ल आपको पसंद आई,लिखना सार्थक हुआ, ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
मतले के ऊला मिसरे के लिए आपका सुझाव उत्तम लगा, इसके लिए अलग से शुक्रिया, बदलाव कर दिया है देखियेग ।
जनाब मोहित मुक्त जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
//बाग़बाँ ने वो सितम तोड़े हैं इनपर देखो
कितने सहमे हुए रहते हैं गुलिस्ताँ वाले
.
रह्म करना किसी बिस्मिल पे गवारा ही नहीं
कितने सफ़्फ़ाक हैं देखो ये परिस्ताँ वाले//
वाह, सारी गज़ल ही लाजवाब है, और शेर तो और भी। दिल से बधाई, भाई समर जी।
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