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आधा तेरा साथ और आधी जुदाई है ।

बह्र:-221-2121-2221-212

आधा है तेरा साथ ओर आधी जुदाई है।।
कुछ इस तरह चिरागे दिल की रौशनाई है ।।

चहरे में मुस्कुराहटें आई हैं लौट कर ।
जब जब भी मैंने याद की ओढ़ी रजाई है।।

विस्मित नहीं हुई अभी,अपनी हो आज भी।
रिश्ता जरूर बदला है अब तू पराई है।।

कितना भी पढ़ लो जिंदगी की इस किताब को ।
मासूस हो यही अभी,आधी पढाई है।।

नजरों से हूबहू अभी वो ही गुजर गया।
जिसकी है जुस्तजू मुझे, तन पे सिलाई है ।।

जब से हुए हो दूर तुम,खुद से हूँ लापता।
मालूम जिंदगी को है , कैसे बिताई है।।

मशगूल हो गए हो अब मालूम हो गया ।
अब लौट कर के हिचकियाँ बैरंग जो आई हैं।।

आमोद बिन्दौरी / मौलिक अप्रकाशित

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Comment by नाथ सोनांचली on March 26, 2018 at 12:20pm

आद0 आमोद जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का बढिया प्रयास। बधाई कुबूल कीजिये। शेष आद0 आली जनाब समर कबीर साहब के सुझावों पर गौर कीजियेगा

Comment by Samar kabeer on March 26, 2018 at 11:50am

बाक़ी अशआर में शिल्प और व्याकरण पर अभ्यास की ज़रूरत है ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 26, 2018 at 11:40am

आ समर दादा प्रणाम 

जी शुक्रिया दादा ....कृपया  अन्य शेर पर भी  मार्गदर्शन दे दीजिये फिर मैं एडिट कर पाऊ

Comment by Samar kabeer on March 26, 2018 at 11:34am

'रोशनाई' का अर्थ रौशनी नहीं स्याही(इंक) ही है ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 26, 2018 at 9:53am

कुछ इस तरह किताबें दिल में रौशनाई है ।।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 26, 2018 at 8:23am

aa smar dada pranam

rekhta se mujhe maayene mile the .....

raushnaa.ii

रौशनाई

روشنائی

ink, light, splendour

रौशनी

agar fir bhi sahi n ho.. to jarur punh  nya sani  likhta hun

Comment by Samar kabeer on March 25, 2018 at 9:29pm

जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन शिल्प और व्याकरण पर अभी बहुत अभ्यास की ज़रूरत है,प्रयासरत रहें,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

मतले के सानी मिसरे में क़ाफ़िया ग़लत है,"रोशनाई" का अर्थ होता है,"ink"

स्याही,इसे बदलने का प्रयास करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 25, 2018 at 1:48pm

अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 25, 2018 at 10:50am

aa shyam narain sir nmn

pratsahn ke liye aabhar

Comment by Shyam Narain Verma on March 23, 2018 at 5:52pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।

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