For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गर कुँवारे ही मरे क्या ताज्रीबा ले जाएँगे
साथ बस मैरीज ब्योरो का पता ले जाएँगे

रोज ही मिलते रहे कपड़ो पे लम्बे बाल जो
इक न इक दिन आप तो घर से निकाले जाएँगे

बात दिल की कह न पाए वक़्त पर जो आप तो
दूसरे ही उनको फिर दुल्हन बना ले जाएँगे

करके गलती आँख से आँसू गिराना सीख लो
मार से बेगम की ये आँसू बचा ले जाएँगे

मेकअप से खा गए धोका अगर जो आप भी
फिर तो लैला की जगह मम्मी भगा ले जाएँगे

खटमलों को जाँच लो सोने से पहले नाथ जी
ये वगरना वस्ल का सारा मज़ा ले जाएँगे

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 856

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2017 at 1:15pm
आद0 तस्दीक अहमद खान साहब, सादर अभिवादन। पुनश्च बहुत बहुत आभार आपका, सादर
Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2017 at 1:13pm
आद0 सलीम साहब सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और बेहतरीन प्रतिक्रिया का आभार। आपके सुझाव पर अवश्य विचार करूँगा।
Comment by Mohammed Arif on November 21, 2017 at 11:57am
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब, बेहतरीन मज़हिया ग़ज़ल । बाक़ी गुणीजन अपनी राय दे चुके हैं ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 21, 2017 at 10:48am
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,आप तकती "मेक-अप "की (212) की अलग अलग करके कर रहे हैं जब कि उसे एक शब्द मान कर "मेकअप" (22) होनी चाहिए । मिसरे में अगर और जो का इस्तेमाल एक साथ हुआ है ,जो मिसरे की सुंदरता खत्म कर रहा है --सादर
Comment by SALIM RAZA REWA on November 21, 2017 at 9:03am
आ. सुरेंद्र नाथ जी ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए  बधाई,
तस्दीक साहिब सही कह रहे हैं..
आ. आप मेकअप को 212 बाँध रहे हैं जबकि  मेक अप 22 है अगर में को  खींचते हैं तो मेकअप नहीं :मेकप: बनेगा जो सही है और 22 का ही है, गौर करिएगा.. सादर
Comment by नाथ सोनांचली on November 20, 2017 at 9:38pm
आद0 तस्दीक अहमद खान साहब आपने बताया कि 5वे शैर का ऊला मिसरा बह्र में नहीं है।

मेकअप से खा गए धोका अगर जो आप भी
मेकअप से 2122
खा गए धो 2122
का अगर जो 2122
आप भी 212
फिर बेबहर कैसे? स्पष्ट करें तो हमे समझने में आसानी होगी।
Comment by नाथ सोनांचली on November 20, 2017 at 9:30pm
आद0तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन, आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन का हृदय तल से आभार।

आपका सुझाव उत्तम है। तजरबा शब्द पर मुझे संशय है क्योकि मैंने शब्दकोश में इसे ताज्रीबा लिखा पाया था। पुनश्च आभार आपका
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 20, 2017 at 9:24pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। सही शब्द "तजरबा" है शेर 5 का उला मिसरा बह्र में नहीं है ।"खा गए मेक अप से धोका आप उल्फ़त में अगर "सही लगे तो तब्दील कर लीजियेगा
Comment by नाथ सोनांचली on November 20, 2017 at 9:22pm
आद0 रामअवध विश्वकर्मा जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर उपस्थिति और सुखनवाजी का हृदय तल से आभार।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on November 20, 2017 at 7:47pm
वाह बहुत ही खूबसूरत हास्य ग़ज़ल है बधाई आदरणीय कुशक्षत्रप जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service