For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...क्या क्रांति की है दुन्दभि या सिर्फ ये उफान है

मुफाइलुन मुफाइलुन मुफाइलुन मुफाइलुन
1212 1212 1212 1212
सुदूर उस तरफ जहाँ झुका वो आसमान है
वहीँ उसी दयार में गरीब का मकान है

ये आजकल जो शोर है शहर शहर गली गली
क्या क्रांति की है दुन्दभि या सिर्फ ये उफान है

चढ़ाव ज़िन्दगी का ज्यूँ मचलती है कुई लहर
कदम जरा सँभल के रख बहुत खड़ी ढलान है

जड़ों से जो जुदा हुये जमीन भी न पा सके
​​बिखर गये वो टूटकर समय का ये बयान है

ये प्यार की छुअन हुई या कसमकस ए ज़िन्दगी
बृजेश के ललाट पे जो चोट का निशान है
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 3, 2017 at 7:10pm
रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार आदरणीय विजय जी..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 3, 2017 at 7:10pm
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया कल्पना जी..
Comment by vijay nikore on June 3, 2017 at 3:10pm

बहुत सुन्दर भाव हैं। गज़ल अच्छी लगी। बधाई।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 3, 2017 at 7:27am

भावपूर्ण रचना हुई है आदरणीय ब्रजेश कुमार जी हार्दिक बधाई |

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 1, 2017 at 8:44pm
ह्र्दयतल से आभार व्यक्त करता हूँ आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी..सादर
Comment by Gurpreet Singh jammu on June 1, 2017 at 9:50am

इस बह्र में बहुत दिलकश ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय ब्रजेश कुमार जी ,, बधाई आपको 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 31, 2017 at 12:48pm
आदरणीय श्याम नारायन वर्मा जी..उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 31, 2017 at 12:47pm
आदरणीय शर्मा जी रचना पटल पे आपका हार्दिक स्वागत है..सादर
Comment by Shyam Narain Verma on May 30, 2017 at 4:15pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 30, 2017 at 10:01am

बहुत बढ़िया भावपूर्ण ग़ज़ल कही है आपने, आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी , बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service