For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

22 22 22 22 22 22 22 2

इन बन्ज़र आँखों में समंदर कल भी था और आज भी है
प्यास से मरना मेरा मुक़द्दर कल भी था और आज भी है

कोई इलाज-ए-ज़ख्म-ए-दिल वो ढूँढ न पाया आज तलक
बेबस का बेबस चारागर कल भी था और आज भी है

उसी राह से कितने मुसाफ़िर मंज़िल तक जा पहुँचे, मगर
उसी जगह पर राह का पत्थर कल भी था और आज भी है

अजल से लेकर आज तलक जाने कितनों की नींदें ठगीं
बदनामी का दाग़ चाँद पर कल भी था और आज भी है

दैर-ओ-हरम,दश्त-ओ-सहरा में मिलता भी कैसे उनको
वो जो बशर के दिल के अंदर कल भी था और आज भी है

वक़्त का मरहम भी "जय" इसको भरने में नाक़ाम रहा
दिल पे निशान-ए-ज़ख्म-ए-नश्तर कल भी था और आज भी है

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on February 9, 2017 at 7:44pm
Fir se padhne ka man hua. Fir se padha. Lekin Fir se hua. Umda ghazal.
Comment by Samar kabeer on February 8, 2017 at 7:30pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मतले के सानी मिसरे पर जनाब मिथिलेश जी का सुझाव बहतरीन है ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on February 8, 2017 at 5:44pm
bahut achchi gqzal jaynit ji
Comment by Mohammed Arif on February 8, 2017 at 5:34pm
आदरणीय जयनित जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल, दिली मुबारक़बाद कुबूल करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 8, 2017 at 4:25pm

आदरणीय जयनित जी, लाजवाब ग़ज़ल कही है. इस रदीफ़ ने मुग्ध कर दिया. इस शानदार ग़ज़ल पर दिल से दाद. इस मिसरे में अटपटा सा लगा तो इसे यूं गुनगुना रहा हूँ-

//प्यासा रहना मेरा मुकद्दर कल भी था और आज भी है //

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2017 at 3:43pm

भाई जय्नित जी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई..हर शेर उम्दा है इस राचन पर ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर
मगर प्यास ही मेरा मुक़द्दर कल भी था और आज भी है...प्यास और था का होना थोडा कंफ्यूज कर रहा है अन्यथा मत लीजियेगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
5 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
5 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service