ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए )
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फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल
न कुछ तुम से इसके सिवा चाहिए ।
हमें सिर्फ़ अहदे वफ़ा चाहिए ।
जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों
मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।
करे ऐब गोई जो हर शख़्स की
उसे दोस्तों आइना चाहिए ।
जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।
कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी
अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।
ज़रूरी है ख़िदमत भी मख़लूक़ की
अगर तुझको साजिद ख़ुदा चाहिए ।
वो तस्दीक़ मुल्के अदम को गया
तुम्हें जिस बशर का पता चाहिए ।
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आ तस्दीक अहमद खान साहिब आदाब ,मख़लूक़ का अर्थ क्या मखदूम है ?--जिसका खिदमत की जाय ? उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई |
जनाब प्रमोद श्रीवास्तव साहिब , फऊलन का वज़्न 122 होगा -----शुक्रिया
टिप्पणी केवल सीखने के लिए
फऊलन वजन मे 1211 या 122 होगा ।122 तो फईलुन होता है ।
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