For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212 212 212 212
वो बहुत खुश है ‘उल्लू’ बनाकर मुझे
और तस्कीं है अहसाँ जताकर मुझे

करते हो फल की उम्मीद ऐ जान तुम*
रेत में मय तमन्ना दबाकर मुझे

कोयले की दहकती हुई आँच पर
रख दिया काँटों में से उठाकर मुझे

अपने अह्सान के बोझ को लादकर
मार तो डाला आखिर बचाकर मुझे

रोज़ बेचैनियाँ ही मिलीं रू-ब-रू
खुद को सारे जहाँ से छुपाकर मुझे

तस्कीं- संतोष

*फल की उम्मीद करते हो नादान तुम
साथ इच्छाओं के यूँ दबाकर मुझे

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 16, 2016 at 10:57am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय डॉ आशुतोष जी

Comment by मनोज अहसास on July 15, 2016 at 1:41pm
आदरणीय शकूर साहब
बहुत बहुत शुभकामनायें
इस खुब सूरत ग़ज़ल के लिए
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 14, 2016 at 7:47pm

  वाह शिज्जू भैया बढ़िया ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद कुबूलें 

अपने अह्सान के बोझ को लादकर
मार तो डाला आखिर बचाकर मुझे---मार  डाला है आखिर बचाकर मुझे  ---कर लीजिये 

Comment by Sushil Sarna on July 14, 2016 at 2:41pm

करते हो फल की उम्मीद ऐ जान तुम
रेत में मय तमन्ना दबाकर मुझे

कोयले की दहकती हुई आँच पर
रख दिया काँटों में से उठाकर मुझे

वाह आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब ... इस खूबसूरत अहसासों से लबरेज़ ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल फरमाएं।

Comment by Samar kabeer on July 14, 2016 at 12:40pm
जनाब शिज्जु शकूर साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
"रेत में मय तमन्ना दबाकर मुझे"
आप कहना चाहते हैं कि तमन्नाओं के साथ रेत में दबाकर,लेकिन 'ऐन'का स्वर 'य'नहीं 'अ'होगा देखिएगा ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 11:58am

आ. शिज्जु भाई , बढ़िया गज़ल कही  है , हार्दिक बधाइयाँ आपको ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 14, 2016 at 11:22am
अति सूंदर आदरणीय शिज्जु जी ढेर सारी बढ़ाई स्वीकार करें सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
8 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
48 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
20 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service