For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझको आता है तरस अब उस क़ज़ा पे

२१२२ २१२२ २१२२
दर्द दिल में ऑसू टपके हैं धरा पे

कुछ लिखूंगा तो लिखूंगा में जफा पे  

तुम न होते ज़िन्दगी में गर मेरी तो
मैं कभी कुछ कह नहीं पाता बफा पे

रख के सर जानो पे मरने की तमन्ना
और मत जिंदा मुझे रख तू दवा पे

लोग जिससे खौफ अब भी खा रहे
मुझको आता है तरस अब उस क़ज़ा पे

गोपियों सा प्रेम दिल में जब भी होगा
कृष्ण भागे आयेंगे तेरी सदा पे

पापियों के पाप से धरती हिली जब
थी कहानी दर्द की वादे सवा पे

लूटती हैं जब ह्वायें ही चमन को 

क्यूँ नहीं इल्जाम तय होता हवा पे 

रूप ये जलवा तुम्हारा जब न होगा
भीड़ गुम होगी जो मरती है हया पे

रुख पे लाली झुकती पलकें देख कर यूं
लुट गए आशू हसीनो की अदा पे
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 768

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2015 at 3:33pm

आदरणीय आशुतोष भाई , गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ  । आपने सुधार सही किया है ,7 वाँ - बहार और खिंज़ाँ वाले शे र  के विषय मे और सोच लीजियेगा ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2015 at 3:22pm

बहुत ख़ूब... वीनस जी ने यथोचित टिप्पणी की है जिसपर आपके प्रयास जारी हैं. आपको बधाई
सादर  

Comment by narendrasinh chauhan on May 1, 2015 at 2:25pm

बहुत सुंदर गज़ल.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 1, 2015 at 2:06pm

दर्द दिल में ऑसू टपके हैं धरा पे 

कुछ लिखूंगा तो लिखूंगा मैं जफा पे ....आदरणीय वीनस जी मार्गदर्शन के अनुरूप मैं अपनी समझ से परिवर्तन कर रहा हूँ ..प्रथम शेर को मूल रूप से हटाकर उसकी जगह ये शेर लिखा है ..आपकी प्रतिक्रिया से ही मेरे प्रयास की सफलता निर्धारित होगी सादर ..pahl

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 1, 2015 at 1:53pm

आदरणीय गोपाल सर ..ग़ज़ल को आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया मिली इसके लिए मैं आपका  आभारी हूँ ..आपका मार्गदर्शन और स्नेह मुझे हमेशा मिलता रहा है ..आदरणीय वीनस जी की पैनी नजर से मेरी गलतियां बच नहीं पाती हैं मैंने उनके मशविरे पर अमल करते हुए संशोधन का प्रयास करूंगा सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 1, 2015 at 1:51pm

आदरणीय विजय सर रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 1, 2015 at 1:50pm

आदरणीय वीनस जी ..काफिये में जो गलती हुई है मैं उस बात को समझ गया ..उसे परिवर्तित करने का प्रयास कर रहा हूँ ..वाकई ये बड़ी गलती हुई है ..और ये नहीं होना चाहिए था ...आपका मार्गदर्शन मिला है मैं इसमें संशोधन  करूंगा ..आपका मार्गदर्शन ऐसे ही सतत मिलता रहे ऐसी कामना के साथ सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 1, 2015 at 1:47pm

आदरणीय केवल जी ..रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 1, 2015 at 12:19pm

आशुतोष जी

मुझी वीनस भाई की बात समझ में आयी . आप भी गौर करें .. गजल की  कहन  अच्छी है . सादर .

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 1, 2015 at 1:39am
डॉo आशुतोष मिश्रा जी , प्रयास सराहनीय है, बधाई, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
17 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service