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लघुकथा : वात्सल्य (गणेश जी बागी)

च्ची को मोटरसाइकिल पर बैठा छोड़ कस्टमर दुकान के अंदर आया और बोला,
"भाई साहब जरा बिटिया के लिए टॉफी और बिस्किट देना"
अभी मैं बिस्किट निकालने के लिए मुड़ा ही था कि बाहर धड़ाम की आवाज के साथ मोटरसाइकिल गिर गयी और बच्ची भी। कुछ लोगो ने बच्ची को उठाया और उसके हाथ व पैर में लगी चोटों को देखने लगे । इधर कस्टमर भी दौड़ कर बाहर भागा और जल्दी से मोटरसाईकिल उठाया तथा टूटी हुई हेड लाइट को देखते ही चटाक की आवाज ।
बच्ची के गाल पर उँगलियों की छाप व आँखों में आँसू स्पष्ट दिख रहे थे ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : फेस वैल्यू

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 18, 2015 at 10:25pm

आदरणीया कांता जी, आपकी सराहना इस लघुकथा को गौरवान्वित कर गयी, बहुत बहुत आभार.

Comment by kanta roy on January 26, 2015 at 10:44pm
पिता का संवेदनहीनता को बेहद खूबसूरती से दर्शाया है आपने ।भौतिक चीजों के प्रति मोह बच्ची के दर्द से ऊपर हो गया । अद्भुत शब्द संयोजन । आभार

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2015 at 3:18pm

आदरणीय सौरभ भईया, आपकी सराहना युक्त प्रतिक्रिया पर बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2015 at 3:14pm

लघुकथा पसंद करने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय भुवन निस्तेज जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2015 at 3:13pm

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, आपकी काव्य पक्तियां लघुकथा को अलंकृत कर गयी, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2015 at 3:11pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया सविता मिश्रा जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 25, 2015 at 5:38pm

आजकी व्यावसायिकता संवेदना को धकिया लोगों के मनस पर अधिकार जमा बैठी है. बहुत ही सुगढ़ रचना हुई है, गणेश भाईजी.

इसे मैं पढ़ गया था लेकिन ज़ल्दबाज़ी में कुछ कहना नहीं चाहता था. मर्सनरी माइण्डसेट को अभिव्यक्त करती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 5:31pm

सकरात्मक प्रतिक्रया हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया अर्चना तिवारी जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 5:30pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्तारिया जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 5:30pm

आदरणीय विनोद जी, आप जैसे लघुकथाकार से सराहना पाना पुरस्कार सदृश है, बहुत बहुत आभार आदरणीय.

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