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दर्द भरी सौगात मिली है

दर्द भरी सौगात मिली है।
तनहाई की रात मिली है।।

तेरे दिल में महफूज़ रहा।
ऐसी कोई बात मिली है।।

जिनके कारण जग से लड़ता।
उनसे ही अब मात मिली है।।

उनकी प्यास बुझाता कैसे।
खारेपन की जात मिली है।।

दर्द को ही तकिया बनाया।
ग़मों से अब निजात मिली है।।
*************************
-राम शिरोमणि पाठक
मौलिक/अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 29, 2014 at 9:57pm

आदरणीय राम शिरोमणि भाई , गज़ल अच्छी कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।  शायद आपने 22 22 22 22 बह्र मे गज़ल कही है । इस बहर की ख़ासियत होती है प्रवाह ! बस प्रवाह कहीं कहीं बाधित लग रही है ।
    

दर्द बनाया जब से तकिया

Comment by ram shiromani pathak on December 29, 2014 at 9:26pm
आदरणीया माहेश्वरी जी हार्दिक आभार।।सादर
Comment by Maheshwari Kaneri on December 29, 2014 at 7:51pm

बहुत सुन्दर राम शिरोमणि जी

Comment by ram shiromani pathak on December 5, 2014 at 10:31am
Adarneey shardindu Ji utsaah vardhan hetu bahut aabhar///saadar

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on December 2, 2014 at 10:21pm
भाई राम शिरोमणि जी, बहुत बढ़िया...आपकी लेखनी निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर हो रही है. शुभकामनाएँ.
Comment by ram shiromani pathak on December 1, 2014 at 3:31pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी आभार आपका।।सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 1, 2014 at 10:18am

उम्दा i बेहतरीन  i क्या बात है ?

Comment by ram shiromani pathak on November 30, 2014 at 4:43pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश जी।।सादर

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 30, 2014 at 4:37pm

//दर्द को ही तकिया बनाया।
ग़मों से अब निजात मिली है।।//

आहा ! बहुत बढ़िया, आपकी ग़ज़ल का स्तर बहुत ऊपर आ गया भाई जी, बधाई स्वीकार करें।

Comment by ram shiromani pathak on November 29, 2014 at 3:17pm

आदरणीय हरी प्रकाश जी  बहुत बहुत आभार आपका 

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