For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल .......... सुलभ अग्निहोत्री

हद से अपनी गुजर गया कोई ।
चुपके दिल में उतर गया कोई ।।

आँख में आसमान लाया था
मेरी अंजुरी में भर गया कोई ।।

छोटी बच्ची सा झूल बाहों में
मन की हर पीर हर गया कोई

टूटी छत से उतर के कमरे में
चाँदनी सा पसर गया कोई ।।

डाल पे फूल खिल गया जैसे
स्वप्न जैसे सँवर गया कोई ।।

रोशनी को सहेजने में ही
कतरा-कतरा बिखर गया कोई ।।

सामने वालमीकि के फिर से
क्रौंच पर वार कर गया कोई

बह के आँसू के संग आँखों से
मार के हमको मर गया कोई ।।

.............. सुलभ

मौलिक तथा अप्रकाशित

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sulabh Agnihotri on September 21, 2014 at 2:48pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय   डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on September 21, 2014 at 2:46pm

बहुत-बहुत आभार   जितेन्द्र 'गीत' जी !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 20, 2014 at 1:33pm

सुलभ जी

क्या बात है i एक से बढ़कर एक मोती i स्वच्छ , धवल ,आबदार i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 20, 2014 at 8:52am

रोशनी को सहेजने में ही
कतरा-कतरा बिखर गया कोई.....बहुत खूब. बधाई आपको आदरणीय सुलभ जी

Comment by Sulabh Agnihotri on September 18, 2014 at 3:31pm

बहुत-बहुत आभार  Dr. Vijai Shanker जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on September 18, 2014 at 3:30pm

बहुत-बहुत आभार  सूबे सिंह सुजान जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on September 18, 2014 at 3:30pm

बहुत-बहुत आभार  khursheed khairadi जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on September 18, 2014 at 3:29pm

बहुत-बहुत आभार  गिरिराज भंडारी जी !

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 18, 2014 at 10:38am
बहुत सुन्दर , आदरणीय सुलभ अग्निहोत्री जी , बधाई ।
कुछ जोड़ दू ,
हद से अपनी गुजर गया कोई ।
चुपके दिल में उतर गया कोई ।।
इतना ऊपर चढ़ गया कोई ।
दिल में गहरा उत्तर गया कोई ॥
Comment by सूबे सिंह सुजान on September 18, 2014 at 9:49am
सुलभ जी, भई वाह वाह बढिया ग़ज़ल कही ....

रोशनी को सहेजने में ही
कतरा-कतरा बिखर गया कोई ।।


सामने वालमीकि के फिर से
क्रौंच पर वार कर गया कोई


बह के आँसू के संग आँखों से
मार के हमको मर गया कोई

सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service