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स्वागतम सोलह मई........अरुण कुमार निगम

सोलह की महिमा में सोलह पंक्तियाँ ...............

सोलह -सोलह लिये गोटियाँ,खेल चुके शतरंजी चाल
सोलह - मई बताने वाली ,किसने कैसा किया कमाल


सोलह कला सुसज्जित कान्हा ने छेड़ी बंसी की तान
सबका जीवन सफल बनाने,सिखलाया गीता का ज्ञान


मानव जीवन में पावनता , मर्यादा के हैं आधार
ऋषियों मुनियों के बतलाये, जीवन में सोलह संस्कार


सोलह - सोमवार व्रत करके , पाओ मनचाहा भरतार
सोलह आने जब मिल जाते, तब लेता रुपिया आकार


उम्र शुरू हो सोलह की तो , आता अपने आप निखार
बीत गई तब जीवन भर के , साथी हैं सोलह श्रृंगार


सोलह चंद्र - कलायें होतीं, तब दुल्हन सी सजती रात
बरगद - पीपल हरदम कहते, सोलह आने सच्ची बात


सोलह - सोलह मात्राओं की, चौपाई मन खूब सुहाय
सोलह – सोलह वर्णों वाली,रूप – घनाक्षरी मन भाय


सोलह की महिमा को गाये,दुर्ग-नगर का अरुण कुमार
छंद आपके मन भाया तो, प्रकट कीजिये मित्र विचार ||

मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr.Prachi Singh on May 15, 2014 at 4:50pm

अहा! अहा! बहुत खूब आदरणीय अरुण जी 

सोलह का सोलह शृंगार सजा महिमा गान बहुत पसंद आया... 

हृदय से बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on May 15, 2014 at 4:12pm
सुंदर भाव लिए, उत्तम रचना के लिए बधाई ....
Comment by Sarita Bhatia on May 15, 2014 at 2:06pm

वाह वाह गुरुदेव जय हो 

सोलह ने तब भी लूट लिया सोलह का अभी इंतज़ार
सोलह पंक्तियाँ ही आपकी छेड़ गई हैं मन के तार ||

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 15, 2014 at 12:51pm

आदरणीय अरुण जी
बहुत अच्छा लिखा है आपने..सब एक से बढ़कर एक..

 

सोलह - सोलह मात्राओं की, चौपाई मन खूब सुहाय सोलह – सोलह वर्णों वाली,रूप – घनाक्षरी मन भाय

सोलह की महिमा को गाये,दुर्ग-नगर का अरुण कुमार छंद आपके मन भाया तो, प्रकट कीजिये मित्र विचार ||

 

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