For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता --- मेरे प्रियवर....................... अन्नपूर्णा

मेरे  प्रियवर .............

स्नेह सिक्त हृदय

तुम रहते  प्राण बन

जीवन की अविरल धारा

तुम रहते अठखेलियाँ बन

तुम मेरे प्रियवर.............

मद युक्त नयन

तुम रहते काजल रेख बन

शीश पर चमकते

यों सिंदूरी रेख बन

तुम मेरे प्रियवर.....................

तुमसे ही है जीवन

हर शाम सिंदूरी

फूलों सा महके सिंगार

संग तुम्हारा  अनुपम फुलवारी ॥

मेरे प्रियवर.................

.

अन्नपूर्णा बाजपेई

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

 

Views: 1216

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on October 25, 2013 at 1:16pm

आदरणीय सुशील जोशी जी आपका हरदिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on October 25, 2013 at 1:15pm

आदरणीय अखिलेश जी आपका हार्दिक आभार ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 25, 2013 at 11:25am

प्रिय को समर्पित बेहद सुन्दर सुकोमल भाव भरी रचना बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 25, 2013 at 11:19am

बेहद सुंदर भाव, बड़ी खूबसूरती से सार्थक सुंदर शब्दों से, पिरोई कविता पर बधाई स्वीकारें आदरणीया अन्नपूर्णा जी

Comment by Sushil.Joshi on October 25, 2013 at 5:19am

सुंदर मखमली भावों से सुसज्जित इस कविता हेतु हार्दिक बधाई आ0 अन्नपूर्णा जी...

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 24, 2013 at 11:43pm

 आ. अन्नपूर्णा जी  सुंदर कविता की हार्दिक बधाई 

Comment by annapurna bajpai on October 24, 2013 at 9:21pm

आपका हार्दिक आभार आ0 केवल भाई जी । 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 24, 2013 at 9:07pm

 आ0 अन्नपूर्णा जी,  सादर प्रणाम!  वाह! बहुत ही कोमल भावों से पूर्ण सुन्दर रचना।............ हार्दिक बधार्इ स्वीकारें।  सादर,   

Comment by annapurna bajpai on October 24, 2013 at 6:37pm

आदरनीय डॉ आशुतोष जी , गिरिराज भण्डारी जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by vijay nikore on October 24, 2013 at 6:35pm

बहुत ही कोमल भाव हैं... रचना अच्छी लगी। बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी।

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
10 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
12 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service