For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल - चाँद सूरज गुलाब रक्खा है !!

एक ग़ज़ल - चाँद सूरज गुलाब रक्खा है !!
(२१२२ १२१२ २२/११२)

चाँद सूरज गुलाब रक्खा है |
ख़त में ख़त का जवाब रक्खा है ||

सिसकियों में कटी जो रात उसका
कागज़ों पर हिसाब रक्खा है ||

शामियाना तेरी मुहब्बत का
एक ऐसा भी ख़्वाब रक्खा है ||

लफ़्ज करते नहीं शिकायत क्या
खामुशी का नकाब रक्खा है ||

याद करना तुम्हें ख़ुदा की तरह
आदतों को ख़राब रक्खा है ||

ओढ़ रक्खी हैं झुर्रियाँ मैंने
और तुमने शबाब रक्खा है ||

सींचना चाहता हूँ रिश्तों को
खुद को प्यासा, जनाब रक्खा है ||

-- आशीष नैथानी 'सलिल'
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1006

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by hemant sharma on October 6, 2013 at 12:48am

बहुत हि सुन्दर गजल आ. आशीष जी

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 5, 2013 at 11:54pm

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 5, 2013 at 11:51pm

लफ़्ज करते नहीं शिकायत क्या
खामुशी का नकाब रक्खा है ||....यह शेर बहुत पसंद आया

बेहद खुबसूरत गजल, दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय आशीष जी

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 5, 2013 at 11:50pm

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर !  :))))
ज. राहत इन्दौरी तो अद्भुत हैं !

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 5, 2013 at 11:44pm

हौसलाअफजाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आदरणीया कल्पना रामानी जी,  आदरणीया annapurna bajpai जी,  आदरणीय ajay sharma जी !!  :))))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 5, 2013 at 11:37pm

बहुत सुन्दर ! वाह वाह

सही कहूँ,  राहत साहब याद आगये ! ...

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 5, 2013 at 11:22pm

आपके ये शब्द भी कीमती है भाई  डॉ. अनुराग सैनी जी !
तहेदिल से शुक्रिया....

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 5, 2013 at 11:19pm

तहेदिल से शुक्रिया भाई Shijju Shakoor जी !

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 5, 2013 at 11:14pm

हौसलाअफजाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया गीतिका 'वेदिका' जी !

Comment by ajay sharma on October 5, 2013 at 11:05pm

चाँद सूरज गुलाब रक्खा है |
ख़त में ख़त का जवाब रक्खा है ||           shandar mat-ala kaha hai  

सिसकियों में कटी जो रात उसका 
कागज़ों पर हिसाब रक्खा है ||       wah wah wah 

ओढ़ रक्खी हैं झुर्रियाँ मैंने

और तुमने शबाब रक्खा है ||          kya baat hai kya khayal sameta hai 

सींचना चाहता हूँ रिश्तों को 
खुद को प्यासा, जनाब रक्खा है ||       bahut khoob 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
10 minutes ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service