For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता - छोड़ दे झंडे !

कविता - छोड़ दे झंडे !

 

छोड़ दे झंडे और झंखाड़े

उठाले परचम पकड़ अखाड़े

मत फंदों और जाल में फंस तू

ज़हर बुझे दातों से डंस तू

देख कोई भी बच न पाए

व्यूह तिमिर का रच न पाए

 

षड्यंत्रों की खाल उधेड़

ऊन भरम है ख़ूनी भेड़

भीतर भीतर काले दांत

मूल्य हज़म हों ऐसी आंत

कर पैने कविता के तीर

अन्धकार की छाती चीर

 

विमुखों और उदासीनों को

भाले बरछी संगीनों को

जो चेतन हैं तू उनको भी

दीनों और कुलीनों को भी

होम हेतु भरती करता जा

आग ग़दर की तू भरता जा

 

देख उजाला तब आएगा

हर भूखा रोटी पायेगा

ठूहे ढह जायेंगे सारे

चमकेंगे अपने भी तारे 

भाग्य नहीं पुरुषार्थ रहेगा

सदा सत्य और सत्य कहेगा

 

सत्य सभी के हक़ में होगा

कोई रंक न राजा होगा

हाथ हाथ को काम मिलेगा

काम के बदले दाम मिलेगा

सचमुच दिन ऐसा आएगा

हर कबीर खुल कर गायेगा

 

चौराहों और चौबारों पर

आरी छेनी औज़ारों पर

शिला लेख सा अंकित होगा

मानव कभी न वंचित होगा

हक़ हकूक और अख्तियार से

धर्म न्याय अपनों के प्यार से

 

समता का डंका बोलेगा

बंद पड़े जो पथ खोलेगा

आज यही संकल्प करेंगे

संकल्पों में रक्त भरेंगे

जो वजूद खोये हम पायें

राजपथों पर हम भी जाएँ 

                 - अभिनव अरुण 

                    [22082013]

    * सर्वथा मौलिक अप्रकाशित - अभिनव .

Views: 813

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on August 23, 2013 at 5:36am

राज पथो पर हाशिये को सम्मान दिलाने का कवि प्रयास आपको भाया आ. पाठक जी मानता हूँ मुझे इस पथ का एक राही मूल ..बहुत आभार !!

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:45pm

वाह बहुत ही प्रवाहमय  रचना ,मैंने तो कई बार पढ़ा  /// आदरणीय अभिनव अरुण  जी  बहुत ही सुन्दर  //हृदय से बधाई आपको //सादर 

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 7:49pm

बहुत आभार श्री जितेद्र जी स्नेह मिलता रहे आदरणीय 

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 7:48pm

:-( महारथी कौन जी .. मैं तो आप सब मेधा संपन्न के बीच एक अदना सा साहित्य प्रेमी ठहरा ..ग़ज़ल सीख रहा हूँ ..बहार हाल मेरा उत्साह बढ़ने का शुक्रिया आ. गीतिका जी 

!!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 22, 2013 at 7:23pm

बहुत ही प्रभावशाली रचना, आदरणीय अभिनव अरुण जी बधाई स्वीकारें

Comment by वेदिका on August 22, 2013 at 7:23pm

बहुत खूब रचना आदरणीय अभिनव जी!

आप गजल के महारथी होने के साथ कविता रचना पर भी अच्छा अधिकार रखते है| आपका सम्प्रेषण लाजवाब है|

बधाई !! 

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 7:12pm

आ. गिरिराज जी रचना की सराहना से बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी ,साधुवाद स्नेह के लिए !

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 7:12pm

आदित्य जी उत्साह वर्धन से संबल मिला है स्नेह बना रहे 

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 7:10pm

आदरणीय श्री ललित जी उत्साह वर्धन का आभार !

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on August 22, 2013 at 6:53pm

बहुत बढ़िया कविता

 हार्दिक बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service