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"कुछ दोहे " (एक प्रयास)

यदि अंकुश हो क्रोध पर, सहनशीलता पास !
वहां पाप होता नहीं, हो खुशियों का वास !!
*********************************************
गुरुजन की सेवा करो, रहो बढ़ाते ज्ञान !
यदि करना जीवन सफल, दो इनको सम्मान !!
********************************************
धन की चंचल चाल है, क्यूँ करते विश्वास ,
कुछ दिन तेरे साथ है, कल फिर उसके पास !!
********************************************
लोगों  में संस्कार हो, उत्तम हो व्यवहार !
कलह क्लेश  ना फिर वहां, हो प्रसन्न परिवार !!
********************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2013 at 10:05am
बहुत बढ़िया प्रयास और उत्तम् दोहे, बधाई श्री राम शिरोमणि जी, यह दोहा बहुत पसंद आया -
धन की चंचल चाल है, क्यूँ करते विश्वास ,
कुछ दिन तेरे साथ है, कल फिर उसके पास !!
Comment by mrs manjari pandey on February 28, 2013 at 10:59pm

 शिरोमणि जी दोहों के लिए बधाई।

 

Comment by ram shiromani pathak on February 28, 2013 at 7:20pm

pawan amba ji hardi aabhaar utsaah vardhan ke liye..........

Comment by ram shiromani pathak on February 28, 2013 at 7:19pm

आदरणीया प्राची मैम जी सब कुछ आपकी ही दया है ..........
अपने इतने अच्छे तरीके से सब नियम बताये की मै लिखने योग्य हुआ..........बस अपना स्नेह बनाये रखे ...
प्रणाम सहित हार्दिक आभार ..............

Comment by pawan amba on February 28, 2013 at 7:06pm

BAHUT HI KHUBSURAT ANDAAZ HAI ...AUR BAHUT ACHHA LIKHA BHI HAI ...SIR 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 28, 2013 at 6:41pm

वाह! राम शिरोमणि पाठक जी 

आपके दोहे पढ़ कर आनंद आ गया 

एक दम शिल्पानुरूप, मात्राएँ बिलकुल सधी हुई......हार्दिक बधाई और बहुत बहुत शुभकामनाएं इस प्रयास के लिए.

धीरे धीरे गेयता और कथ्य भी सधता जाएगा... 

जितनी जल्दी आपने यह सीखा है, उसके लिए आपको बार बार बधाई 

शुभकामनाएं 

Comment by ram shiromani pathak on February 28, 2013 at 11:47am

उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय वर्मा जी ...............

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on February 28, 2013 at 9:52am
बहुत अच्छा प्रयास राम शिरोमणी जी।

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