For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


फाग बड़ा चंचल करे, काया रचती रूप !
भाव-भावना-भेद को, फागुन-फागुन धूप !!

फगुनाई ऐसी चढ़ी,  टेसू धारें आग
दोहे तक तउआ रहे,  छेड़ें मन में फाग ॥

भइ, फागुन में उम्र भी करती जोरमजोर
फाग विदेही कर रहा, बासंती बरजोर !!

जबसे सींचित हो गये, बूँद-बूँद ले नेह ।
मन में फागुन झूमता, चैताती है देह !!

बोल हुए मनुहार से, जड़वत मन तस्वीर
मुग्धा होली खेलती, गुद-गुद हुआ अबीर ॥

धूप खिली छत खेलती, अल्हड़ खोले केश ।
इस फागुन फिर रह गये, बचपन के अवशेष ॥

करता नंग अनंग है, खुल्लमखुल्ले भाव
होश रहे तो नागरी,  जोशीले को ताव .. !

हम तो भाई देस के,  जिसके माने गाँव  ।
गलियाँ घर-घर जी रहीं - फगुआ, कुश्ती-दाँव ॥

****************
सौरभ 

 

Views: 955

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 10:40am

mananiya saurabh ji aur yogi ji, sama bandh diya aap logo ne. sadar badhai


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 10:29am

नाच उठा आकाश भी, ऐसा उड़ा अबीर।
ताज नशे में झूमता,यमुना जी के तीर।१।
.
बरसाने की लाठियाँ, खाते हैं बड़भाग।
जो पावै सौगात ये, तन मन बागो बाग़।२।
.
तन मन पे यूँ छा गई, होली की तासीर।
राँझे को रँगने चली, ले पिचकारी हीर।३।
.
रंग लगावें सालियाँ, बापू भयो जवान।
हुड़ हुड़ हुड़ करता फिरे, बन दबंग सलमान।४।
.

होली के हुडदंग में, योगी राज उवाच।
पटिआले की भांग ने,फेल करी इस्काच।५।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 2, 2012 at 11:25pm

प्रदीपजी, आपने ’रचना’ को देखा, यह अभिभूतकरी है.

दोहा छंद में ये कुछ भावोद्गार हैं.

सादर.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 2, 2012 at 3:44pm

फाग बड़ा चंचल करे, काया रचती रूप !
भाव-भावना-भेद को, फागुन-फागुन धूप !!

sundar prastuti, badhai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2012 at 1:30pm

भाई अविनाशजी तथा भाई संदीप ’वाहिद’, आपको प्रयास रुचा यह मेरे लिये परम संतोष की बात है.

सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 1, 2012 at 12:06pm

सादर नमस्कार,

आपके फागुनी दोहों ने हृदय प्रफुल्लित कर दिया है

धूप खिली छत खेलती, अल्हड़ खोले केश ।
इस फागुन फिर रह गये, बचपन के अवशेष ॥

बहुत ही सुंदर रचना,

Comment by AVINASH S BAGDE on March 1, 2012 at 11:38am

जबसे सींचित हो गये, बूँद-बूँद ले नेह ।
मन में फागुन झूमता, चैताती है देह !!

बोल हुए मनुहार से, जड़वत मन तस्वीर
मुग्धा होली खेलती, गुद-गुद हुआ अबीर ॥..Saurabh ji...शानदार दोहे हार्दिक बधाई !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2012 at 1:12am

भाई आशुतोषजी, आप सदा तरोताज़ा रहें ताकि इस मंच को भी ताज़ग़ी मिलती रहे.

आपको दोहे पसंद आये, इस हेतु आभार व्यक्त करता हूँ.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2012 at 1:10am

नीरज जी, आप अतिरेक में ही सही रचना पर नज़र डाले देते हैं यह मेरे लिये भी सौभाग्य है.

हार्दिक धन्यवाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2012 at 1:09am

भाई अभिनवजी, प्रत्येक दोहे पर आपकी टिप्पणी अभिभूत कर गयी.

हृदय से आभार.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
7 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
14 hours ago
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service