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छन्न पकैया-छन्न पकैया,छन्न के ऊपर बिंदी

भाषायों की पटरानी है, अपनी माता हिंदी.(१)
.
छन्न पकैया-छन्न पकैया, बात नहीं ये छोटी
भरे देश के जो भंडारे, उसको दुर्लभ रोटी. (२)
.
छन्न पकैया-छन्न पकैया, छन्न पके की हंडिया
भारत जिंदा रहा अगर जो, तभी बचेगा इंडिया. (३)
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छन्न पकैया-छन्न पकैया, कैसा गोरख धंधा
हर किसान के सर पे लटका है कर्जों का फंदा. (४)
.
छन्न पकैया-छन्न पकैया, मन में ये अभिलाषा
बढ़ते जाएँ भारतवासी, भूल धर्म ओर भाषा. (५).
.
छन्न पकैया-छन्न पकैया, छन्न के नीचे रोली
नफरत की भाषा को छोडो, बोलो मीठी बोली. (६)  
.
छन्न पकैया-छन्न पकैया, ये तोहफा भी देना
घर में घुस पटको कंगारू, ओ धोनी की सेना. (७)
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छन्न पकैया-छन्न पकैया, छन्न पकाए फलियाँ
शहरों की सड़कों से सुंदर, मेरे गाँव की गलियाँ. (८)  

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छन्न पकैया-छन्न पकैया, पड़े अक्ल पे ताले
करें निराले रोज़ घोटाले, अपने कुर्सी वाले (९)
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छन्न पकैया-छन्न पकैया, बात यही है जानी .
देख देख हमको जलते हैं, चीनी पाकिस्तानी. (१०)
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छन्न पकैया-छन्न पकैया- छन छना छन छन्ना
भ्रष्टाचारी थरथर कांपें, जब हुंकारे अन्ना.  (११)
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छन्न पकैया-छन्न पकैया, छन्न पकाए रागी
ओबीओ बगिया को सींचे, अपने खून से बागी. (१२)

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Comment by ganesh lohani on December 22, 2011 at 1:11pm
 छन्न पकैया-छन्न पकैया, थाली में साग हरा  बढिया
लोई अंग में अपने, बुनी पत्नी के हाथ की  बढ़िया
 
पूजनीय,
 परभाकर जी परनाम |
Comment by ganesh lohani on December 22, 2011 at 1:08pm
छन्न पकैया-छन्न पकैया, एक से बढ़ कर एक 
यूँ  ही बढ़ते  रहना, मिले सफलता तुम्हें अनेक
 
छन्न पकैया-छन्न पकैया, पहन सर पर टोपी
बढ़ता चल रुकना न कहीं,चलती रहेगी ये आपा धापी
 
छन्न पकैया-छन्न पकैया,पतझर का मौसम आया
पतों का चूर दिखता नहीं कहीं, समय की कैसी  माया
 
छन्न पकैया-छन्न पकैया, ठुमक ठुमक आया बसंत
घर आंगन नदी और जंगल में  छाने लगा बसंत
 
छन्न पकैया-छन्न पकैया, कोयल ने  छेड़ी न्योली की तान
घुर घुर घुगति , कफुवा  क घुरण(कुहु-कुहु)  है बसंत की शान

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