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एडमिशन

‘मम्मी, मेरा एडमिशन………।' कॉलेज से आती बबली अपनी बात पूरी करती कि फोन की घंटी घनघनाई, ‘....ट्रीन..ट्रीन..।' मालती ने फोन उठाया। बबली अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।  

हेलो मालती, मैं सुविधा बोल रही हूँ। सुविधा ठक्कर।'

हाँ बोलो।' मालती ने बेरुखी से कहा।  

तुम मिली समीर से?’

सोचती हूँ,मिल ही लूँ।'

‘अभी सोच ही रही है तू?’ सुविधा ने जरा डपट कर कहा।

वही फीस की सोचती हूँ।थोड़ा महँगा प्रोफेसर है न तेरा समीर?’ मालती ने तेरा शब्द पर जरा अधिक ज़ोर देकर कहा।

तेरा भी हो सकता है, पगली। जाकर तो देख।'

‘तू भी मिली थी अपनी बिटिया के एडमिशन के लिए या फोन पर ही सब तय हो गया था?’

फोन पर सब कैसे होगा, भई? कई बार मिली थी,रे।' सुविधा ठक्कर ने जवाब दिया।

‘कितनी रातों में बात बनी थी,सुवि?’

क्या बकती है तू?’ सुविधा फोन पर ही सही गुर्राई।

बिटिया से भी पूछ लेना कि उसकी कितनी राते खर्च हुईं? हमलोग अपनी रातें नीलाम नहीं करतीं।मालती ने उसे सूई चुभोई।

कुतिया! ह...रा... ।'

‘हाँ,तू है कुतिया! दलाल!! कमीनी!!!मालती खूब ज़ोर से चिग्घाड़ी।

क्या हुआ मम्मी?’ माँ की तेज आवाज सुनकर अपने कमरे से बाहर आती हुई बबली ने पूछा।  

कुछ नहीं, बेटा। शीला से बात हो गई है। सुरभि और तुम एक साथ पढ़ोगी। एडमिशन हो जाएगा।'

‘हाँ मम्मी, हम दोनों का सेलेक्शन हो चुका है। ये सुवि और समीर अंदर ही अंदर रिजल्ट पता कर लेते हैं और सिलैक्ट हुए लड़के-लड़कियों के यहाँ संपर्क कर एडमिशन कराने के नाम पर कहीं से रुपए ऐंठते हैं,कहीं से कुछ....... ।'

‘एं? तुझे कैसे पता?’

सुरभि के पापा ने सब पता कर लिया है। मैं तुझे बताने ही वाली थी। कुछ खिला दो, जल्दी से। आज कॉलेज की दूसरी पारी में समीर का अभिनंदन होगा,जूतों की माला से। वह अबतक बहुतों से खेल खेल चुका है।'

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

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Comment by Manan Kumar singh on October 20, 2022 at 9:15am

आदरणीय लक्ष्मण भाई जी, आपका आभार। नमन। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 19, 2022 at 9:44pm

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by Manan Kumar singh on October 13, 2022 at 12:46pm

आपका आभार जनाब समर जी। नमन। 

Comment by Samar kabeer on October 12, 2022 at 5:38pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा है, बधाई स्वीकार करें ।

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