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गीत -नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो (पञ्चचामर छ्न्द)

विचार में प्रवाह हो स्वभाव में उजास हो
नवीन वर्ष  में  नवीन  गीत  रंग  रास  हो

प्रभात धूप हो खिली समीर मस्त हो बहे
अनन्त हर्ष को लिए सुवास भाव भी रहे
कपाट  बंद खोल के धरे नवीन ज्ञान को
समर्थ अर्थ में  रखे सदैव स्वाभिमान को
रहे  कहीं  न दीनता सदा  यही प्रयास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो।।१

विकार काम क्रोध मोह लोभ क्षोभ त्याग दे
कुमार्ग  पे  चले नहीं  विनाश  का न राग दें
कहीं  दिखे  अधर्म  तो  अधर्म  देह  चीर दें
समाज  के  लिए  मरें  समाज को न पीर दें
कुपथ्य का विनाश हो सुुुपथ्य का विकास हो
नवीन  वर्ष  में  नवीन  गीत  रंग रास हो।।२

सदैव कर्म धर्म से हितार्थ  देश काम हो
मनुष्य बीच प्रेम का विशेष एक धाम हो
रहे समान  हाव-भाव आदि  और अंत में
प्रबुध्द शुध्द बोल हो समस्त दिग्दिगन्त में
समस्त राष्ट्र एक है कि भावना विकास हो
नवीन वर्ष में नवीन  गीत  रंग  रास हो।।३

अनादि सत्य ज्ञान को सदैव लेखनी लिखे
धरा प्रणम्य देश  भक्ति  भावना भरी दिखे
प्रवाह वेग  क्रोध में  विराट  रूप  जो  धरें
प्रचण्ड  तप्त  दग्ध से पहाड़ अम्बु भी डरें
अजेय  दुर्ग  तोड़  दें अपार शक्ति पास हो
नवीन वर्ष में  नवीन गीत रंग  रास हो।।४

न हौसलें  परास्त  हों डरें नहीं झुकें नहीं
अराति सामने तथापि  मंजिलें  रुकें नहीं
विचार हो विमर्श हो मशाल क्रांतिमान हो
बढ़े चलें ध्वजा लिए अखण्ड राष्ट्र-गान हो
हँसी-खुशी रहे यहाँ न  जीवता  उदास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो ।।५

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Samar kabeer on December 31, 2020 at 2:49pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, सुंदर गीत हुआ है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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