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मन की सुंदरता बलवान

तन की सुंदरता तो प्यारे,
कुछ दिन की है मेहमान।
सुन्दर गोरी चमड़ी से ज्यादा,
मन की सुंदरता है बलवान।।

मन विकार मुक्त तुम रखकर,
त्यागो अपना अहं अज्ञान।
मृदुभाषी सौहाद्र व्यवहार से,
बना लो अपनी छवि महान।।

तन हो सुन्दर और मन हो मैला,
मेले में भी रह जाएगा अकेला।
जीवन हो जाएगा बोझिल,
खुशियां हो जाएंगी सब ओझिल।।

जब पंचतत्व में मिल जाएगा,
नश्वर शरीर तेरा नादान।
सद्व्यवहार सद्गुणों से तेरी,
ख्याति रहेगी मरणोपरांत ‌।।

"मौलिक और अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 20, 2020 at 5:45pm

आ. नीता जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Neeta Tayal on July 18, 2020 at 4:55pm

जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by नाथ सोनांचली on July 18, 2020 at 4:47pm

आद0 नीता त्यागी जी सादर अभिवादन। बढ़िया सृजन हुआ है। बधाई स्वीकार कीजिये

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