For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब न मिलेगी शह तुझे। (अतुकांत कविता)

कैसे दे दी हामी तेरे ज़मीर ने?
कैसे हो पायी इतनी दरिंदगी हावी तुझ पर?
कि चीख पड़ी इंसानियत भी सुन,
और शर्मिंदा हो गई हैवानियत भी देख।

क्या नहीं दहला तेरा अंतर्मन देख उसको छटपटाता?
क्या नहीं काँपी तेरी काया सुन उसकी चीखें?
क्या नहीं रोयी तेरी रूह कर उसे राख़?
क्या नहीं था ख़ौफ रब-ए-जलील का?

कब तक शर्मसार करेगा अपने जन्मदाता को?
कब तक अपमानित करेगा राखी के उस वचन को?
कब तक ज़लील करेगा रिशतों के पवित्र बन्धनों को?
कब तक, आखिर कब तक?

जान और समझ ले तू,
कि ये नाज़ुक और ख़ूबसूरत जिस्म,
अब न सहेंगे तेरा वहशीपन,
वो दिन दूर नहीं कि जब पासा पलट जाएगा।

वह जो उषा की पहली किरण है,
रात का घना अंधेरा बन जाएगी।
वह जो सौम्य-सरल मुस्कान है,
रौद्र रूप धर तांडव रचाएगी।
वह जो प्रेम का विशाल सागर है,
सुनामी बनकर छा जाएगी।

होश में आजा,
अब बस, बहुत हुआ।
हुंकार उठा है स्त्रीत्व और
जाग उठी है मानवता।
माँऐं और अपने ही कर देंगे इंसाफ,
अब न मिलेगी शह तुझे।

मौलिक व् अप्रकाशित।

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on December 8, 2019 at 12:20pm

जनाब स्वस्तिक जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Swastik Sawhney on December 6, 2019 at 8:56am
आदरणीय लक्ष्मण जी, मेरी कविता की सराहना के लिए हृदय से आभार आपका। सादर।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 4, 2019 at 8:46pm

आ. स्वस्तिक जी, समसामयिक विषय पर सारगर्भित रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Swastik Sawhney on December 4, 2019 at 7:15pm

आदरणीय सुरेंद्र जी, यह मेरी हिंदी भाषा में द्वितीय किन्तु इस मंच पर प्रथम कविता है। अपनी इस कविता पर आपके द्वारा मिली सकारात्मक टिप्पणी से मुझे प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। हृदय से आपका आभार सर।

Comment by नाथ सोनांचली on December 3, 2019 at 7:33pm

आद0 स्वस्तिक जी सादर अभिवादन। बढ़िया समसामयिक विषय को संदर्भित कर भाव पूर्व सृजन किया है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, क्या ही सुंदर रचना हुई है ! वाह वाह !! .. एक-एक बंद जैसे प्रदत्त चित्र के मर्म…"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, दीपपर्व की शुभकामनाएँ।  छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अशोक  भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका।  लगता है गेयता की समस्या  मेरी…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद  भाव स्पष्ट करने  के लिए |"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"लड़ियाँ  झूमें  ओने-कोने,  फूले-फले  त्योहार।...उत्तम कामना है आपकी किन्तु…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" दूर दूर रहना मजबूरी, बिखर गया परिवार।               …"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ग्राहक सोचे क्या-क्या ले लूँ , और किसे दूँ छोड़.... सच यही स्थिति होती है सजा हुआ बाज़ार देखकर.…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंद गीत पर आपकी सराहना ने सृजन को सार्थकता प्रदान की है.…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आपको भी दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रस्तुत…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service