किस्से हैं , कहानी है
 दुनिया अनजानी है
कोई कब आएगा ? 
 कोई कब जाएगा ? 
 कौन जानता भला ?
 केवल रवानी है
 किस्से हैं - -
अभी तो यहीं था
 कैसे चला गया ? 
 बार-बार दोहराती 
 बात पुरानी है
 किस्से हैं - -
ख़ाली ही आया धा
ख़ाली विदा हुआ
 बार -बार पाने की
 ज़िद , दीवानी है
 किस्से हैं - -
निर्मोही देह में
 मोह पोसा गया
 पाया न मनभाया
 नित- नित कोसा गया
फिर भी न जाने क्यों ?
 करता मनमानी है
किस्से हैं , कहानी है 
 दुनिया अनजानी है
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदाब,आभार आपका
मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
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