For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अख़बारों की बातें छोड़ो कोई ग़ज़ल कहो (ग़ज़ल)

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

अख़बारों की बातें छोड़ो कोई ग़ज़ल कहो

ख़ुद को थोड़ा और निचोड़ो कोई ग़ज़ल कहो

वक़्त चुनावों का है, उमड़ा नफ़रत का दर्या

बाँध प्रेम का फौरन जोड़ो कोई ग़ज़ल कहो

हम सबके भीतर सोई जो मानवता उसको

कस कर पकड़ो और झिंझोड़ो कोई ग़ज़ल कहो

खर पतवार जहाँ है दिल के उन सब कोनों को

अपने तर्कों से तुम गोड़ो कोई ग़ज़ल कहो

आग उगलने लगी सियासत जलते हैं मासूम
मिल जुलकर इसका मुँह तोड़ो कोई ग़ज़ल कहो

सच लेकर तुम पूँजी, सत्ता से टकराओगे?

‘सज्जन’ जी अपना रुख मोड़ो कोई ग़ज़ल कहो

----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 615

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 7, 2019 at 12:59pm

आदरणीय फूल सिंह जी, राज़ नवादवी जी, तेज वीर सिंह जी, समर कबीर साहब, लक्ष्मण धामी जी, आप सबने इस रचना पर प्रतिक्रिया देकर मेरा हौसला बढ़ाया इसलिये मैं तह-ए-दिल से आप सबका शुक्रगुजार हूँ। आदरणीय समर साहब इन दिनों गर्दन में समस्या होने के कारण कम्प्यूटर पर कम ही बैठना होता है पर सक्रियता बनाये रखने की पूरी कोशिश रहेगी। धन्यवाद

Comment by PHOOL SINGH on December 13, 2018 at 4:54pm

बहुत सुंदर रचना,  हार्दिक बधाई 

Comment by राज़ नवादवी on December 10, 2018 at 1:46pm

आदरणीय धर्मेंद्र कुमार जी, आदाब, सुंदर गजल हुयी है, हार्दिक बधाई. सादर. 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 9, 2018 at 12:33pm

हार्दिक बधाई आदरणीय धर्मेंद्र कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।

आग उगलने लगी सियासत जलते हैं मासूम
मिल जुलकर इसका मुँह तोड़ो कोई ग़ज़ल कहो

Comment by Samar kabeer on December 9, 2018 at 10:46am

जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी आदाब,बहुत दिनों बाद पटल पर आपको देखकर प्रसन्नता हुई,अपनी सक्रियता बनाये रखें ।

अच्छी ग़ज़ल कही आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 8, 2018 at 8:51pm

आ. भाई धर्मेंद्र जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
2 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
3 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
22 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service