For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो - सलीम रज़ा रीवा

 212 212 212 212 -
रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो
गीत ख़ुशिओं के हर वक़्त गाते रहो
-
मोतियों  की तरह जगमगाते रहो
बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो
-
जब तलक आसमां में सितारें रहें
ज़िंदगी में  सदा  मुस्कुराते  रहो
-
इतनी खुशियां मिले ज़िंदगी में तुम्हे
दोनों हांथों से  उनको  लुटाते  रहो
-
सिर्फ़ कल की करो दोस्तों फिक़्र तुम
जो गया वक़्त उसको भुलाते रहो
-
हम भी तो आपके जां  निसारों में हैं
क़िस्सा- ए- दिल हमें भी सुनाते रहो
-
ख़ुद ब ख़ुद ही फ़ज़ाएँ महक जाएंगी
अपनी ज़ुल्फ़ें हवा में उड़ाते रहो
-
रात यूँ ही न कट पाएगी जाग कर
कुछ तो मेरी सुनो कुछ सुनाते रहो
-
रोशनी कम "रज़ा" हो न जाये कहीं
तुम शम्अ अंजुमन में जलाते रहो

....

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 782

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on December 28, 2017 at 8:49am

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर',

ग़ज़ल में अपनी महब्बत की बारिश करने के लिए दिली शुक्रिया. 

Comment by SALIM RAZA REWA on December 28, 2017 at 8:48am

बृजेश भाई आपकी महब्बत सलामत रहे, 

ग़ज़ल पसंद करने के लिए शुक्रिया. 

Comment by SALIM RAZA REWA on December 28, 2017 at 8:47am

मुहतरमा कल्पना भट्ट जी, 

ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया. 

Comment by SALIM RAZA REWA on December 28, 2017 at 8:46am

जनाब अजय तिवारी जी, 

आपकी नवाजिश के लिए शुक्रगुजार हूँ. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 21, 2017 at 9:41am

आ. भाई सलीम जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 20, 2017 at 8:16pm

वाह बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीय सलीम जी...सादर

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 20, 2017 at 6:44pm

बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय सलीम रज़ा जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Ajay Tiwari on December 20, 2017 at 1:06pm

आदरणीय सलीम साहब, खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई. सादर 

 

Comment by SALIM RAZA REWA on December 20, 2017 at 12:23pm
मोहतरम आरिफ़ साहब,
आपकी महब्बत से मुझे हौसला मिला
आपकी दुआएँ सलामत रहे.
Comment by Mohammed Arif on December 20, 2017 at 7:55am

आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,

                             बहुत ही आशावादिता का संचार और आग्रह करती ग़ज़ल ।हर शे'र ज़िंदा रहने की प्रेरणा जगाता है । दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
3 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
3 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
21 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
21 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service