For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिन्हें आदत पड़ी हर बात में आँसू बहाने क़ई (ग़ज़ल)

अरकान-: मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन

जिन्हें आदत पड़ी हर बात में आँसू बहाने की,
तमन्ना वो न पालें फिर किसी से दिल लगाने की

सर-ए-महफ़िल कभी पर्दा नहीं करता था वो ज़ालिम
तो फिर अब क्या ज़रूरत पड़ गई है मुँह छुपाने की

लिखूंगा बात जो सच हो बिना डर के ज़माने में,
यहीं इक शर्त थी ख़ुद से कलम अपनी उठाने की

ख़बर अपनी नहीं रहती मुझे, हालात ऐसे हैं
खबर क्यूँ पूछते हो फिर मियाँ सारे जमाने की

बना ख़ुद रास्ता अपना हुनर है तेरे हाथों में,
किसी पत्थर के आगे क्या पड़ी है गिड़गिड़ाने की

भले जाएँ कहीं भी आसमाँ में उड़ के ये पंछी
नहीं वो भूलते हैं राह अपने आशियाने की

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 882

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on October 30, 2017 at 1:46pm
आद0 बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर उपस्थिति और हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2017 at 11:09am
बहुतख़ूब बहुतख़ूब आदरणीय
Comment by नाथ सोनांचली on October 26, 2017 at 7:23pm
आद0 आशुतोष जी सादर अभिवादन। बहुत बहुत आभार आपका इस प्रोत्साहन के लिए।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 26, 2017 at 5:41pm
आदरणीय सुरेन्द्र जी हर शेर पसंद आया इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by नाथ सोनांचली on October 26, 2017 at 5:10am
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रोत्साहन से अभिभूत हूँ, आद0 सलीम जी। सादर अभिनंदन और आभार।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 25, 2017 at 8:06pm
बहुत खूब... बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं
आ सुरेंद्र नाथ जी.
Comment by नाथ सोनांचली on October 25, 2017 at 1:04pm
आद0 महेंद्र जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी आत्मीय प्रशंशा और बधाई के लिए हृदय तल से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on October 25, 2017 at 11:36am
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। आपकी मुक्तकंठ से प्रंशसा पाकर तोष मिला। आपका प्यार यूँही बना रहे।सादर आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on October 25, 2017 at 11:34am
आद0 भैया डॉ छोटेलाल सिंह जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पसन्द आयी, लिखना सार्थक हुआ। आपकी आत्मीय बधाई के लिए हृदय तल से आभार।
Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:01am

उम्दा ग़ज़ल है आ. सुरेन्द्र नाथ जी. मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service