For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम उनके बिना भी हुए कब अकेले (ग़ज़ल)

बह्र :  १२२ १२२ १२२ १२२

 

सनम छोड़ जाते हैं यादों के मेले

हम उनके बिना भी रहे कब अकेले

 

मैं समझाऊँ कैसे ये चारागरों को

उन्हें छू के हो जाते मीठे करेले

 

रहे यूँ ही नफ़रत गिराती नये बम

न कम कर सकेगी मुहब्बत के रेले

 

मैं कितना भी कह लूँ ये नाज़ुक बड़ा है

सनम बेरहम दिल से खेले तो खेले

 

इन्हें दे नये अर्थ नन्हीं शरारत

वगरना निरर्थक हैं जग के झमेले

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 693

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 4, 2016 at 1:10pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 4, 2016 at 1:10pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया निधि जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 2, 2016 at 10:18am

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , बहुत बढिया गज़ल कही है , सभी अशआर खूब हुये हैं , बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Nidhi Agrawal on November 30, 2016 at 11:46am

ग़ज़ल अच्छी है जनाब.. लेकिन दूसरा शेर पढ़ कर हंसी आ गयी .. एक संजीदा ग़ज़ल में भी ह्यूमर आ सकता है ये इस ग़ज़ल के माध्यम से समझा .. पर साहित्यिक दृष्टी से ये सही है या नहीं ये ज्ञानी लोग बताएं 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 28, 2016 at 7:54pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 28, 2016 at 7:54pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 28, 2016 at 7:54pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब तस्दीक साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 28, 2016 at 7:53pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब। आपके सुझाव के लिए अभारी हू‍ँ। इसे ठीक करता हू‍ँ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 28, 2016 at 11:33am

बहुत खूब ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 27, 2016 at 11:23pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र सिंह जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर-दर-शेर, दाद-ओ-मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. "मुए" को "अमां" किया जा सकता है क्या? सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय Tilak Raj Kapoor जी, आपने बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही है, इसपर रचनाकार को अवश्य ध्यान…"
2 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अच्छी ग़ज़ल हुई। वाह"
3 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, प्रदत्त विषय आधारित अच्छी अतुकांत रचना प्रस्तुत हुई है, बधाई स्वीकार करें।"
4 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस…"
4 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"//दोष गर्मी का सूरज पे मत डालिए// आहा ! आपकी प्रस्तुत रचना मैं गुनगुनाते हुए पढ़ लिया, सच में आनंद आ…"
6 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"रूख - पेड़ पटभेड़ - किवाड़/दरवाजा बंद रहना पिलखन - एक पेड़ का नाम"
7 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"बहुत सही सुझाव आदरणीया  डॉ प्राची जी। "
13 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय  सुरेश कुमार 'कल्याण' जी, प्रदत्त विषय को केंद्रित शानदार रचना…"
13 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"//एक झूला बीच आँगन में लिए नीम बन भीनी महकती ज़िन्दगी // अरे वाह ! क्या कहने, शानदार, बहुत खूब…"
16 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह वाह, क्या शानदार शुरुआत हुई है, बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई है, सभी अशआर एक से बढ़ कर एक हैं, गमला…"
18 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, दूसरी प्रस्तुति भी अति उत्तम हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहावली रची है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service