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डिज़ाइनर मुखौटे [ लघु कथा .प्रदीप कुमार पांडे ]

“रेहाना’i    बहुत खुश दिख रहा था आनंद   “आज रात के ग़ज़ल की कंसर्ट के दो टिकटों का इंतजाम कर लिया है मैंनेI  बहुत पीछे की सीटें हैं, पर मिल गए ये ही क्या कम है I”

“मुबारक हो”   रेहाना धीरे से बोली I

“अरे इतनी दूर ऑस्ट्रेलिया में अपने इतने जाने माने लोगों के ग़ज़ल ,गाने सुनने को मिलेंगे I  तुम खुश नहीं हो i”   आनंद चिढ कर बोला I

“हाँ नहीं हूँ खुश और मै जाऊंगी भी नहीं “  रेहाना उठने लगी I

“पाकिस्तानी हैं इसलिए ?”  आनंद ने उसका हाथ पकड़ लिया “ तुम इतनी पढ़ी लिखी हो, यहाँ  ऑस्ट्रेलिया में साइंटिस्ट हो और इतना छोटा दिल रखती हो i उन्होंने क्या किया है ?”

“बहुत रख लिया बड़ा दिल i”  रेहाना ने झटक कर  अपना हाथ छुडा लिया I

“हम तीन साल से साथ हैं ,एक दूसरे को प्यार करते हैं I पर आज सच में लग रहा है कि हम दोनों का एलिमेंट ही अलग है “  आनंद भी अब गुस्से में था I

“ बिलकुल है “  रेहाना आनंद को घूरते हुए बोली “  मै फौजी की बेटी हूँ  ,और तुम एक बिज़नेस मैन के,I  मुझे बहुत दर्द होता है जब बॉर्डर पर फौजी जान गँवाते हैं I मै तुम्हारी तरह डिज़ाइनर मुखौटे नहीं पहन सकती हूँ  I एक बात और ,मैंने दो महीने पहले ही दो टिकट खरीद लिए थे सबसे आगे की रो के  और आज सुबह ही उन दोनों को उनके सही मुकाम पर पहुँचाया है “I

रेहाना ने अपने बैग से दो फाड़ कर चिंदे किये हुए  टिकट निकाल कर अवाक आनंद के  हाथ में रख दिए I

 

मौलिक व् अप्रकाशित   

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Comment by rajesh kumari on October 10, 2016 at 5:52pm

सही है सबको एक चश्मे से देखना ठीक नही होता इतिहास गवाह है देश की आज़ादी के संग्राम में कितने मुस्लिम देशभक्तों ने अपनी जान गंवाई है यहाँ मुस्लिम लड़की में हिन्दू लड़के से ज्यादा देशभक्ति दिखाई दे रही है |बहुत खूब बहुत अच्छी लघु कथा लिखी आद० प्रदीप कुमार जी हार्दिक बधाई |

Comment by Arpana Sharma on October 10, 2016 at 5:12pm
बहुत बड़ा मर्मज्ञ छिपा है "ड़िजायनर मुखौटे" में ।देशभक्ति के जज़्बे के कारण और सीमा पर शहीद फौजियों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए, फौजी की बेटी पाकिस्तानी कलाकारों का कार्यक्रम देखने से मना कर देती है। बहुत बधाई एवं सादर नमन आदरणीय प्रदीप कुमार पांड़े जी

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