For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत,दिग्पाल छ्न्द-सतविन्द्र

गीत

मापनी :2212 122 2212 122
-------

मुझको सता रही हैं,यादें सभी तुम्हारी
दिलकश अदा तुम्हारी,मोहक हँसी तुम्हारी

चुपचाप पास आना,आकर मुझे सताना
वो पास बैठ जाना, हर बात को बताना
कब भूल पा रहा हूँ,वो दिल्लगी तुम्हारी
दिलकश.....


मैं भूलता जहां को,नजदीक तुम अगर थे
इस प्रेम की डगर पर,ऐ जान हमसफ़र थे
महसूस कर रहा हूँ,हर साँस भी तुम्हारी
दिलकश.....

नज़रें करें शरारत,अच्छी मुझे लगी थी
जब देख मुस्कुराई,इक आस सी जगी थी
उस आस को बढ़ाती,हर बात भी तुम्हारी
दिलकश...

कटता नहीं समय अब,होता विरह कठिन है
दिल तो दुखी हुआ अब,महबूब नेह बिन है
दिल में तुम्हीं बसे जब,हो बन्दगी तुम्हारी
दिलकश.....


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 6, 2016 at 5:41pm
प्रयास पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक आभार वन्दनीया कांता रॉय दीदी।सादर नमन!
Comment by kanta roy on September 4, 2016 at 2:51pm
मुझको सता रही हैं,यादें सभी तुम्हारी
दिलकश अदा तुम्हारी,मोहक हँसी तुम्हारी
----- वाह ! क्या सुंदर शब्दों की माला पिरोया है आपने आदरणीय सतविन्द्र जी। बधाई प्रेषित है।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 4, 2016 at 1:11pm
सादर आभार आदरणीय सुरेश फौजी भाई साहब।आपने रचना को समय दे सराहना की,मुझे ऊर्जा मिली।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 3, 2016 at 8:17pm
आदरणीय सतविंदर भाई जी,सुन्दर छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 2, 2016 at 4:33pm
अनुमोदन और सराहना के लिए सादर आभार आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर।छ्न्द के दूसरे नाम से अवगत कराने के लिए भी आभार।सादर नमन।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 1, 2016 at 8:53pm

आ० सतविंदर जी , बहुत बढ़िया निभाया , इस छंद को मृदु गति छंद भी कहते हैं , सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
38 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
1 hour ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service