For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यंग्य कविता -"एक बूंद पानी की कीमत "

बिन पानी के अभी से मच रहा,सब ओर हाहाकार।
मई-जून में आयेगा मजा,जब मुंह सूखे लार ।।
नदी,कुंये,ताल का,हो जायगा बुरा हाल ।
पानी के लिये मारामारी,होगी अब की साल ।।
खूब धो रहे घर आंगन, और कर रहे बरबाद पानी।
आटा सानने नहीं मिलेगा,खूब कर लो मनमानी ।।
नहाओ-नहाओ सांझ सबेरे,पर कभी आगे का सोचा ।
गमछा गीला करके बदन पर,लगाना पड़ेगा पोंछा ।।
जो नहा ना पायें बहुत दिनों तक,तो आयेगी ऐसी बास।
कहीं मर गया चूहा या, कहीं सड़ गयी लाश ।।
पटक -पटक के कसेंड़ी बर्तन, होगी खूब लड़ाई ।
इधर खड़ी पंडितायन होगी,उधर मंगू की लुगाई ।।
अभी से बचा लो पानी भैया,इस में सब की भलाई ।
वरना बाद में ना कहना,पहले ये बात ना बताई ।।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1319

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on October 28, 2015 at 2:33pm
बहुत आभार आदरणीय मिथलेश वामनकर जी! मैं पूरी कोशिश करूगीं अगली रचना पर नियमानुसार लेखन की ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 1:35pm

आदरणीया राहिला जी सन्देश देती बढ़िया प्रस्तुति हुई है. हार्दिक बधाई 

आदरणीया राजेश दीदी की इस्लाह पर रचना खिल उठेगी. सादर 

Comment by Rahila on October 27, 2015 at 10:12pm
बहुत -बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी! आपने मार्ग दर्शन देकर मेरी दुविधा का निदान कर दिया । मैं समझ नहीं पा रही थी कि सही तरीके से कैसे लिखू । पुनः धन्यवाद स्वीकार कीजिये।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 27, 2015 at 8:18pm

अच्छी विषय पर कलम चलाई है राहिला जी भविष्य की चिंता होना लाजिमी है पानी बचाओ का अच्छा सन्देश दे रही है कविता हास्य व्यंग पर लिखी इस कविता के लिए हार्दिक बधाई आपको| आप इसी रचना को दोहा छंद  में आराम से लिख सकती हैं छंद समूह में सब विधान लिखा है प्रयास कीजिये आप लिखने लगेंगी |

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 7:02pm
आद. कांता दी! बहुत आभार इस प्रशंसा के लिये । परन्तु उतनी सटीक रचना नहीं बन पाई । अभी बहुत मेहनत करनी होगी ।लेकिनआपकी हौसला अफज़ाई से मुझे जो हौसला मिला उसके लिये पुनः आभार, शुक्रिया आपका ।
Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 6:01pm

नहाओ-नहाओ सांझ सबेरे,पर कभी आगे का सोचा ।
गमछा गीला करके बदन पर,लगाना पड़ेगा पोंछा ।।----हा हा हा हा --मुझे तो लगता है की पडोशी के घर का बहता हुआ पानी आपकी कविताओं में आ छुपा है।  बधाई हो आपको आदरणीया राहिला आसिफ जी  इस चिंतनशील ज्वलंत विषय पर लेखन करने हेतु। 

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 1:19am
बहुत आभार आदरणीय समर कबीर जी । बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on October 25, 2015 at 11:35pm
मोहतरमा राहिला जी,आदाब,आज पहली बार आपकी कविता से रूबरू हो रहा हूँ,और ओबीओ परिवार में आपका स्वागत करता हूँ,आपकी कविता अच्छी लगी लेकिन मेरे नज़दीक अभी आपको अपने क़लम पर और धार लगाना होगी ,कृपया मेरी बात को अन्यथा न लें ।
Comment by Rahila on October 25, 2015 at 6:52pm
बहुत आभार मनोज कुमार जी । मैं भी यही चाहिती हूं कि कुछ सीखने को मिले ।
Comment by मनोज अहसास on October 25, 2015 at 4:58pm
बहुत बधाई
आपको इस रचना के लिए
मंच के छंद के विशेषज्ञ यदि इस रचना पर अपने विचार दे दें
तो आपके लिए बहुत लाभदायक होगा
शुभकामना
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service