For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"गुम्मन चाय वाला" - (लघु कथा) (20)

"चच्चा, लो पियो जे कड़क चाय, लेकिन मेरी कविता ज़रूर पढ़कर जाना" - गुम्मन ने बड़े उत्साह से कहा।
थोड़ी देर बाद वहीद चच्चा बोले- "ओय गुम्मन, तू तो बड़ी अच्छी कविता लिख लेता है, आज पता चली तेरी काबीलियत और तेरा 'असली' नाम।"
"हाँ चच्चा, छुटपन में एक बार ठण्ड के साथ तेज़ बुख़ार होने पे बिना किसी को बताये टेबल पे रखी रजाई की तह में छिपकर सो गया था। घरवाले घण्टों ढूंढते रहे। जब मिला तो "गुम" कहके चिढ़ाने, बुलाने लगे। इस चाय की दुकान पे सब "गुम्मन" कहने लगे। स्कूल छूटा तो असली नाम भी गुम हो गया।"
"देख, तेरा दिमाग़ तो बहुत तेज़ है ,बहुत क़ाबिल है तू । चल , फिर से मैं तेरा नाम स्कूल में लिखवाता हूं,पढाई फिर शुरू कर !"- उसकी पीठ थपथपाते वहीद चच्चा ने उसका हौसला बढ़ाया।
"चच्चा, क़ाबिल तो तुम भी थे। हैसियत के आगे क़ाबीलियत कोई मायने रखती है क्या जो पढ़ाई पे पैसा मिटाऊं !"- गुम्मन के ये शब्द शायर वहीद चच्चा को चुभ से गये।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 3:08am
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने एवं प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब ओम प्रकाश क्षत्रिय प्रकाश जी व आदरणीय कान्ता राय जी।
Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 6:41am
बेहतरीन लेखन हुआ है आपका आदरणीय शेख शहज़ाद जी । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Omprakash Kshatriya on October 21, 2015 at 8:13pm

Sheikh Shahzad Usmani जी हार्दिक बधाई इस लघुकथा के लिए. बहुत ही सुन्दर बनी है. सन्देश चाहे जैसा भी हो. लघुकथा अच्छा कटाक्ष कर रही है.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 21, 2015 at 6:13pm
मेरी रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहक टिप्पणियाँ प्रेषित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय Tej Veer Singh जी, आदरणीया Rajesh Kumari जी, हमारी नयी होनहार रचनाकार साथी सदस्या मोहतरमा Rahila साहिबा।
Comment by Rahila on October 21, 2015 at 3:53pm
आद. उस्मानी जी !बहुत सुन्दर रचना लगी ।बहुत बधाई आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 19, 2015 at 10:06pm

बहुत  बढ़िया तंज ..हेसियत के आगे पढ़ाई क्या ?

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर लघु कथा के लिए |

Comment by TEJ VEER SINGH on October 19, 2015 at 9:31pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी!बहुत प्रेरक और शानदार लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service