For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- बिना तेरे किसकी इबादत करेंगे!

१२२ १२२ १२२ १२२

बहुत दुख दिये है कि नफरत करेंगे!
तेरी अब कभी हम न चाहत करेंगे!!

जरा सोच इतना लिया होता जालिम!
बिना तेरे किसकी इबादत करेंगे!!

समझ ही न पाये मुहब्बत मेरी तुम!
कि मर के भी तुमसे मुहब्बत करेंगे!!

वे बच्चें हैं उन पर न गुस्सा करो यूं!
वे नादां वही फिर शरारत करेंगे!!

तु जिसके लिए इतना पागल है 'राहुल'!
अदा प्यार की वो न कीमत करेंगे!!

मौलिक व अप्रकाशित!

Views: 1000

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 13, 2015 at 10:16pm

जरा सोच इतना लिया होता जालिम!
बिना तेरे किसकी इबादत करेंगे!!

वे बच्चें हैं उन पर न गुस्सा करो यूं!
वे नादां वही फिर शरारत करेंगे!! 

ये दो शे’र खूबसूरत हुए हैं। दाद कुबूल करें

Comment by Krishnasingh Pela on January 21, 2015 at 6:46pm
इस बेहतरीन असआर के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ स्वीकार करें आदरणीय राहुल साहब ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on January 15, 2015 at 6:46am
आदरणीय तिलक राज सर जी आपकी प्रतिक्रिया पाकर रचना सफल हुई सादर धन्यवाद! आदरणीय मुझे आशिर्वाद दे
Comment by Tilak Raj Kapoor on January 15, 2015 at 12:01am

बहुत खूब।

फ़ऊलुन्, फ़ऊलुन्, फ़ऊलुन्, फ़ऊलुन्

इसी बह्र पर एक पुराना गीत है:
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ

वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 14, 2015 at 8:15pm
आदरणीय Saurabh Pandey जी बहुत बहुत धन्यवाद! मैं आपके सुझाव पर अवश्य गौर करुंगा सादर!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2015 at 7:10pm

भाई राहुलजी, आपकी इस ग़ज़ल के हवाले से कहें, तो साहब आपने हमें पूरी चौंका दिया ! ग़ज़ब ! ग़ज़ब !!

मतले के कहे में तनिक झिझक है. इस झिझक से अभ्यास करेते हुए आप अवश्य बाहर आ जायेंगे.

ऐसा इसलिए भी कह पा रहा हूँ कि आपके इन दो शेरों ने तो कमाल कर दिया है -

जरा सोच इतना लिया होता जालिम!
बिना तेरे किसकी इबादत करेंगे!!

वे बच्चें हैं उन पर न गुस्सा करो यूं!
वे नादां वही फिर शरारत करेंगे!!

इन शेरों के लिए तो बार-बार बधाइयाँ.
बहुत खूब !

Comment by Alok Mittal on January 3, 2015 at 6:07pm

जरा सोच इतना लिया होता जालिम!
बिना तेरे किसकी इबादत करेंगे!!

समझ ही न पाये मुहब्बत मेरी तुम!
कि मर के भी तुमसे मुहब्बत करेंगे!!...बहुत खूबसूरत

क्या बता है गज़ब के अशआर है लाजवाब ग़ज़ल है आपकी

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 1, 2015 at 8:51pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय! नमन!
Comment by Rahul Dangi Panchal on December 29, 2014 at 4:08pm
आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी व सोमेश कुमार सादर धन्यवाद स्वीकार करें!
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 29, 2014 at 2:36pm

आदरणीय राहुल जी इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
30 minutes ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
35 minutes ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service