For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीते जी जिन्दगी खत्म नहीं होती

सिर्फ एक अध्याय खत्म होता है

जब तक एक भी साँस है

हौसले हैं

तब तक रास्ते हैं

कहीं भी, किसी पल

किसी भी मोड़ पर

नई शुरूआत हो सकती है

 

मिटा देता है वक्त गुज़रते-गुज़रते

पुरानी लिखावट को

और एक कोरा पन्ना छोड़ जाता है

आते-आते

वही वक्त एक और मौका देता है

कि उसी कोरे पन्ने पर

फिर अपनी ज़िन्दगी लिखें

फिर शुरूआत करें

 

(मौलिक व अप्रकाशित ) 

 

Views: 520

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2014 at 7:00pm

आदरणीय डॉ. विजयशंकर सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने मेरी रचना को मान दिया स्नेह बनाये रखें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2014 at 6:59pm

आदरणीय गोपाल नारायण सर रचना की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2014 at 6:58pm

आदरणीय हरिवल्लभ सर रचना को समय देने के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया स्नेह बनाये रखें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2014 at 6:57pm

आदरणीय गणेश जी बहुत बहुत शुक्रिया, आपके अनुमोदन से हौसला बढ़ा है स्नेह बनाये रखें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2014 at 6:55pm

आदरणीय खुर्शीद जी रचना को मान देने के लिये आपका हार्दिक आभार

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 6:53pm
जिंदगी है तो आस है ,
आस है तो जिंदगी है ,
और जबतक जिंदगी
तब तक हर पल एक
नई शुरुआत है ,
बहुत सुन्दर , आदरणीय शिज्जु शकूर जी , बधाई .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 6:18pm

जब तक एक भी साँस है

हौसले हैं

तब तक रास्ते हैं

कहीं भी, किसी पल

किसी भी मोड़ पर

नई शुरूआत हो सके -----------------------बेहतरीन शिज्जू भाई i

Comment by harivallabh sharma on October 15, 2014 at 4:56pm

पुराने लेख मिट जाते है नविन पृष्ट जुड़ जाते हैं...बहुत सटीक कथ्य के साथ सार्थक अतुकांत रचना हेतु बधाई आपको, आदरणीयशिज्जू 'शकूर' साहब.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 15, 2014 at 1:00pm

जिंदगी को देखने का एक सकरात्मक नजरिया, कविता सन्देश छोड़ने में सफल है अर्थात कवि अपने उद्देश्य में सफल हुआ, बधाई आदरणीय शिज्जु भाई।

Comment by khursheed khairadi on October 15, 2014 at 9:29am

मिटा देता है वक्त गुज़रते-गुज़रते

पुरानी लिखावट को

और एक कोरा पन्ना छोड़ जाता है

आदरणीय शकूर सा. अच्छी आशावादी रचना है |सादर अभिनन्दन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया जो कुछ भी मेरे साथ हुआ याद ही…"
34 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
49 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"सूरज के बिम्ब को लेकर क्या ही सुलझी हुई गजल प्रस्तुत हुई है, आदरणीय मिथिलेश भाईजी. वाह वाह वाह…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
yesterday
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service