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'मैया नैहर ना बिसराये'

अबहूँ न वीरा मोरे आये,
सावन सगरा बीता जाये,
बेकल मन में याद सताये,
मैया नैहर ना बिसराये।

मैया हमारी बाँट जोहती,
बहना छोटी झर झर रोती,
बाबुल मन माही घबराये,
मैया ...


भावज के संग हँसी ठिठोली,
झूला झूलती सखियाँ भोली,
वो ही अल्हड़ से दिन भाये।
मैया....

सीने में मैया के सिमटना,
भैया से जिद कर के लड़ना,
नैना नेहा से भर आये
मैया....

बाबुल की अँखियों से बरसता,
प्यार उसी को मनवा तरसता,
पियाजी हमका हैं समझाये।
मैया नैहर ना बिसराये।
सीमा हरि शर्मा 10.8.2014
मैलिक एवं अप्रकाशित

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Comments are closed for this blog post

Comment by seemahari sharma on August 13, 2014 at 11:04pm
बहुत आभार आपका ram shiromani pathak जी।
Comment by seemahari sharma on August 13, 2014 at 10:58pm
बहुत आभार आपका जितेन्द्र'गीत'आपने रचना को सराहा।
Comment by ram shiromani pathak on August 12, 2014 at 1:44pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 9:48am

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,बधाई आपको आदरणीया सीमाहरी जी

Comment by seemahari sharma on August 11, 2014 at 12:58pm
आभार डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ सादर।
Comment by seemahari sharma on August 11, 2014 at 12:55pm
आभार Rajesh Kumaari जी आपकी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहन मिला है।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 10, 2014 at 5:58pm

सीमाजी

बचपन की बहुत सी यादे  ताजा करती आपकी मृदु रचना ने मन मोह लिया i  अब तो परिदृश्य ही बदल गया है i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 10, 2014 at 5:16pm

सुन्दर भावपूर्ण गीत सीमा जी ,बहुत बहुत बधाई 

Comment by seemahari sharma on August 10, 2014 at 4:57pm
बहुत आभार आपका kalpna mishra bajpai जी।आपने भी क्या खूब लिखा है।सारी दुनियाँ ही भरमजाल है।
Comment by kalpna mishra bajpai on August 10, 2014 at 1:01pm

सावन बीत गया  मुझे ससुराल में, भैया भूले भरमजाल  में//////////////बहुत सुंदर गीत बधाई आप को /सादर 

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