For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'लो'
फिर आ गया बसन्त,
प्रेम का उन्माद लिए,
प्रियतम की याद लिए,

'बसन्त' तो मेरे
मन का भी था,
रह गया उम्र के
उसी मोड़ पर,
लौटा ही नहीं,
जिंदगी उस
फफोले की मानिंद है,
जो रिसता है
आहिस्ता आहिस्ता,
बेइंतहां दर्द के साथ,
परन्तु सूखता नहीं,

नहीं खिलता
मेरे चेहरे पर,
सरसों के फूल का
पीला रंग,
पलाश के फूल
हर बार की तरह
इस बार भी
मुझे रिझाने में
नाकामयाब रहे,

तुम्हारी यादों के
चंद आँसूं,
पलकों पर सजा
'कभी कभी'
इतरा लेती हूँ
'मैं भी'

ओ मेरे जीवन के श्रृंगार,
मेरे पहले प्यार,
'तुम' आओ
तो बसंत आये। .!!अनु!!

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 484

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 23, 2014 at 4:24pm

सुन्दर...

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 7, 2014 at 7:16pm

तुम्हारी यादों के
चंद आँसूं,
पलकों पर सजा
'कभी कभी'
इतरा लेती हूँ
'मैं भी'------------------------------ ,ऐसे भी इतराया जाता है वियोग श्रृंगार का सुंदर निरूपण किया है आपने बधाई बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2014 at 12:04pm

लो को सिंगल कोट या इन्वर्टेड कॉमा में क्यों किया है ?

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 6, 2014 at 2:40pm

आदरणीय , बहुत मार्मिक प्रस्तुति है , आपको हार्दिक बधाई ॥

Comment by Anita Maurya on February 6, 2014 at 8:26am

vijay nikore जी बहुत बहुत आभार आपका 

Comment by Anita Maurya on February 6, 2014 at 8:11am

annapurna bajpaiजी बहुत बहुत शुक्रिया।   

Comment by Anita Maurya on February 6, 2014 at 8:10am

जितेन्द्र 'गीत' जी बहुत बहुत शुक्रिया।   

Comment by vijay nikore on February 6, 2014 at 4:05am

//'बसन्त' तो मेरे
मन का भी था,
रह गया उम्र के
उसी मोड़ पर,
लौटा ही नहीं,
जिंदगी उस
फफोले की मानिंद है,
जो रिसता है
आहिस्ता आहिस्ता,
बेइंतहां दर्द के साथ,
परन्तु सूखता नहीं,//

 

अति सुन्दर अभिव्यक्ति, मन को छू गई। बधाई।

Comment by annapurna bajpai on February 5, 2014 at 11:39pm

बहुत खूब अनीता जी , सुंदर वर्णन । बधाई आपको । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 5, 2014 at 11:16am

नहीं खिलता
मेरे चेहरे पर,
सरसों के फूल का
पीला रंग,
पलाश के फूल
हर बार की तरह
इस बार भी
मुझे रिझाने में
नाकामयाब रहे,

बसंत ऋतू पर  प्रकृति के  सौन्दर्य और   विरह-वेदना  का बहुत सुंदर शब्दों में चित्रण करती पंक्तियाँ , बधाई स्वीकारें आदरणीया अनीता जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
19 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
20 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service