For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चल मेरे मन चलें वहाँ..


चल मेरे मन चलें वहाँ..                                       

झर झर झरना करे जहाँ..

नदियाँ कल कल शोर करें..
पक्षी कलरव चहुन ऑर जहाँ..
चल मेरे मन..



सर सर चलती पुरवाई हो...
पुष्पों की सुगंध भी छाई हो..
वृक्षों की घानेरी छाँव जहाँ..
चल मेरे मन ..

सोंधापन हो जहाँ माटी में..
भ्रमारों का मीठा गुंजन हो..
मन क्रंदन हो शांत जहाँ..
चल मेरे मन..

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on December 24, 2010 at 2:33pm
धन्यवाद गणेश जी :) 
Comment by Lata R.Ojha on December 24, 2010 at 2:30pm
आभार भास्कर जी :) 
Comment by Lata R.Ojha on December 24, 2010 at 2:29pm
'सलिल' जी बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ जोड़ी हैं आपने ..आपका बहुत बहुत धन्यवाद :) 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 24, 2010 at 10:04am
लता जी, प्रकृति के आँचल पर लिखा यह खुबसूरत कविता बहुत ही मनमोहक है | बधाई ...
Comment by Bhasker Agrawal on December 24, 2010 at 8:53am
मनभावन प्रस्तुति
Comment by sanjiv verma 'salil' on December 24, 2010 at 8:49am
सरस गीति रचना...
समर्पित कुछ पंक्तियाँ-
*
नेह नर्मदा बहती हो,
आत्मा निर्मल रहती हो.
निर्बल पीड़ित हो न जहाँ
चल मेरे मन चलें वहाँ...
*
वीर शहीदों का वंदन,
देश की मिट्टी हो चंदन.
उड़े तिरंगा उच्च जहाँ
चल मेरे मन चलें वहाँ...
*
'लता' सुनाती हो नगमे,
भँवरे गीत सुनाते हों.
'सलिल' सियासत हो न जहाँ
चल मेरे मन चलें वहाँ...
*

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
59 minutes ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। अहा! क्या कहने भाई जी बेहद शानदार और जानदार ग़ज़ल हुई है। अभी…"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
7 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
7 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
7 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
7 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
7 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
7 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
9 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
9 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service